भूमिगत समूह मुख्यधारा में आए – श्री श्री रविशंकर
गुवाहाटी
आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने भूमिगत समूहों से आह्वान किया है कि यदि वे मुख्यधारा से जुड़ना चाहते है तो वे उनके साथ कार्य करने को तैयार हैं| एक प्रेस कांफ्रेंस में श्री श्री रविशंकर ने यह बात कही|
उन्होंने कहा, “यदि सरकार हाथ बढ़ाती है तो अनेक सशस्त्र युवक-युवतियां मुख्यधारा में आने को तैयार हैं| बीते समय में हमारी मध्यस्थता में मणिपुर के 68 उग्रवादियों ने सार्वजनिक रूप से आत्मसमर्पण किया था| उन सदस्यों को मौजूदा सरकार की तरफ से कैसा सम्मान मिलता है इसी पर अन्य सदस्यों की नजर हैं| लेकिन जब तक आखिरी हथियार समर्पित नहीं होता तब तक आर्ट ऑफ लिविंग परिवार के सदस्य शांत नहीं बैठेंगे|” उन्होंने यह भी बताया कि वे अन्य उग्रवादी संगठनों के साथ भी बातचीत कर रहे हैं|
इससे पहले उन्होंने नॉर्थ ईस्ट इंडिजेनस पीपल्स कांफ्रेंस में हिस्सा लिया| इस दौरान उन्होंने कहा, “उत्तर-पूर्व के इतिहास में यह एक नया शुभारंभ है| इतनी विविधता वाले क्षेत्र के लोग पहली बार एक दूसरे से जुड़े है|”
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लोगों की इतनी दशकों की पीड़ा से उनका ह्रदय आहत हुआ है| उन्होंने अनुभव किया कि वे सभी समूह जिन्होंने उग्रवाद का सहारा लिया, उन्होंने भी संपन्नता और कल्याण के लिए उस रास्ते को चुना| लेकिन कलह से यह प्राप्त नहीं हो सकता, इसके लिए सहयोग आवश्यक है| इतनी सी बात की समझ इस क्षेत्र में नया इतिहास आरंभ कर देगी|
कांफ्रेंस में समाज के हर वर्ग के लोग उपस्थित थे| इनमें वे नेता भी थे, जिन्होंने पहले हथियारों का रास्ता चुना था| इस आयोजन के मुख्य समन्वयक पूर्व के भूमिगत समूहों जनरल सेक्रेटरी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) अनूप चेतिया थे|