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ज़रूर पढ़िए: ब्रहमपुत्र के किनारे क्यों होता है दो पुरुषों का विवाह

गुवाहाटी  

MANZAR ALAM-GUWAHATI-2By-Manzar Alam

गुवाहाटी के ब्रहमपुत्र के किनारे एक छोटे से गणेश मंदिर परिसर में हर वर्ष दो पुरषों का विवाह होता है. बैंड बाजे के साथ धूम धाम से बारात भी निकलती है. दो पुरुषों का विवाह देख कर लोग हैरान भी होते है. लेकिन बाद में पता चलता है कि अवसर है होली का और होली के उमंग में कुछ भी हो सकता है.

दरअसल यह वोह लोग होते हैं जो सूर्यउदय के साथ ही साथ सैर करने के लिए ब्रहमपुत्र के किनारे इकठ्ठे होते हैं. लेकिन होली के दिन सैर करना भूल कर डूब जाते हैं होली की मस्ती में.

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होली का पूरा पूरा आनंद उठाने के लिए इन में से कोई कृष्ण बनता है तो कोई राधा. फिर राधा कृष्ण का विवाह होता है. राधा कृष्ण के इस विवाह समारोह में और मस्ती लाने के लिए बाजाब्ता लोक गीत और लोक नृत्य होते हैं. नई विवाहित दम्पति अपने दोस्तों और बुज़ुर्ग्गों का पैर छू कर उन से आशीर्वाद लेते हैं ता की आने वाले वर्ष में वोह एक बार फिर ऐसा ही विवाह रचा सकें.

होली मनाने वाले इन जवां दिल लोगों की टोली में महिलाएं भी बड़ी संख्या में होली मिलन समारोह में शामिल होती हैं, और उम्र के इस पड़ाव में कुछ समय के लिए ही सही जीवन का भर पूर आनंद उठाती हैं. होली मिलन के इस समारोह में इकठ्ठा होने वाले लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और फिर गले मिल कर एक दुसरे को होली की बधाई देते हैं.

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होली का भरपूर मजा उठाने के लिए बाजाब्ता राजस्थान से होली के लोक न्रत्य करने वाले और लोक गीत गाने वाले मंडलियों को बुलाया जाता है. पूरे वर्ष सुबह सवेरे सैर का आनंद उठाने वाले यह लोग होली का भी भर पूर मज़ा उठाते हैं साथ ही साथ आपसी प्यार, मोहब्बत और भाईचारे का जीता जागता उदहारण भी देते हैं.

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