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मानवता की अद्भुत मिसाल: दोनों पैरों से माजूर एक महिला डॉक्टर की कहानी

वेब डेस्क

अगर सेवा और समर्पण की भावना हो तो व्यक्ति अपने व्यवहार से अपने उदाहरण स्थापित कर सकता हैI ऐसा ही कुछ कर दिखाया है चीन की एक अपाहिज महिला ली जुहोंग ने I ली जुहोंग जब केवल 4 साल की उम्र में दोनों पैर खो चुकी थी लेकिन उन्होंने हिम्मत न हारते हुए अपना डॉक्टर बनने का सपना पूरा किया और अब मानवता की सेवा की भावना से समर्पित महिला डॉक्टर 15 साल से लकड़ी के छोटे स्टूलों के सहरी यात्रा करके अपने मरीजों तक पहुंच कर उनका इलाज करती हैं। दोनों पैरों से माजूर हो कर भी डॉक्टर ली जुहोंग दुनिया भर के लिए मानवता का द्भुत मिसाल हैं।

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चीन के एक पिछड़े राज्य की निवासी ली जुहोंग जब केवल 4 साल की थीं तो एक ट्रक उनके पैरों पर चढ़ गया था और इस हादसे में वह अपनी दोनों पैर खो बैठी I लेकिन उन्होंने अपने हाथों और छोटे स्टूलों के सहारे चलना सीख लिया और डॉक्टर की डिग्री प्राप्त करने के बाद अपने गांव आईं जहां अब वह गांव के लोगों की सेवा करती हैं।

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लोग अपने  इस मसीहा को घर बुलाते हैं और वह खुशी खुशी उनके इलाज के लिए जाती हैं। पिछले 15 साल में वह इतना चली हैं कि लकड़ी के 24 स्टूल  घिसकर तोड़ चुकी हैं। इसके अलावा महिला के पति भी अक्सर उन्हें पीठ पर सवारी कराके  मरीजों तक पहुंचाते हैं। महिला डॉक्टर ने अपनी मजबूरी उपेक्षा करते हुए न केवल अपने गांव बल्कि दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों के भी 6 हजार मेडिकल मामलों को हल किए हैं।

महिला डॉक्टर का कहना है उन्हें लगता है कि उन्हें यह काम करना चाहिए, अगर उन्हें इसके बदले कोई सम्मान न भी मिले तो भी ग्रामीण डॉक्टर बनकर काम करती रहेंगी। महिला के अनुसार उनका 12 वर्षीय बच्चा भी डॉक्टर बनने में दिलचस्पी है और वह भी अपनी माँ की तरह लोगों की सेवा करना चाहता है।

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