अरुणाचल प्रदेश: ज़ीरो घाटी का ” ज़ीरो म्यूज़िक फ़ेस्टिवल ”
अरुणाचल प्रदेश की ज़ीरो घाटी ( अरुणाचल प्रदेश ) का ” ज़ीरो म्यूज़िक फ़ेस्टिवल ” —–पढ़िए ख़ास रिपोर्ट
By Manzar Alam, Founder Editor, NESamachar, Former Bureau chief ( Northeast ), Zee News.
देश के उत्तर पूर्व का बेहद खूबसूरत, हिमालय की वादियों में बसे राज्य अरुणाचल प्रदेश को कौन नहीं जानता. पूरा राज्य ऊंचे ऊंचे पर्वतों की श्रृंखलाओं, और उन के बीच अंगडाइयां लेती बलखाती नदियाँ, ठन्डे पानी के झरनों जैसे प्राकृतिक सुन्दरता से भरा पड़ा है. कुदरत भी अरुणाचल की खूबसूरती के सामने सिर झुकाती है शायद इसी लिए सुबह का सूरज भी अपनी पहली किरण अरुणाचल पर ही डालता है.
हम आप को बताने जा रहे हैं अरुणाचल प्रदेश के ZIRO Valley यानी जीरो घाटी के बारे में , जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए मशहूर तो है ही , लेकिन यहाँ एक और चीज़ है जो जीरो घाटी की पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर करवाती है. वह है यहाँ हर वर्ष होने वाला म्यूजिक फेस्टिवल. इस फेस्टिवल में शामिल होने के लिए दूर दूर से हज़ारों की संख्या में पर्यटकों के अलावा संगीत प्रेमी भी आते हैं.
पहाड़ों की वादियों में होने वाले देश के कुछ बड़े म्यूजिक फेस्टिवल्स में एक जीरो म्यूजिक फेस्टिवल भी है. यह अपनी तरह का अनोखा और आउटडोर म्यूजिक फेस्टिवल है. यह फेस्टिवल हर साल सितंबर के महीने में होता है और 4 दिनों तक चलता है. इस साल यह म्यूजिक फेस्ट 27 सितंबर (गुरुवार) को शुरू होगा जो 30 सितंबर (रविवार) तक चलेगा.
इस म्यूजिकल फेस्टिवल में न सिर्फ अरुणाचल प्रदेश और नॉर्थ ईस्ट के बेहतरीन म्यूजिक बैंड्स शामिल होते हैं बल्कि देशभर के म्यूजिकल बैंड्स और आर्टिस्ट्स अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए इस फेस्ट का हिस्सा बनते हैं. इस म्यूजिक फेस्ट में आपको जैज़ से लेकर पॉप, फंक, फ्यूजन, हिप-हॉप, ग्रंज जैसी अलग-अलग शैली और विधा का म्यूजिक सुनने को मिलेगा.
इस फेस्टिवल ने जीरो की पहचान बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाई है, जहां देश-विदेश से हजारों संगीत और कलाप्रेमी जुटते हैं. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में केवल दो कलाकारों द्वारा यह फेस्टिवल शुरू किया गया था, जो आज एक वार्षिक आउटडोर संगीत कार्यक्रम के रूप में उभर रहा है.
यदि आप संगीत में सब कुछ भूलकर झूमना चाहते हैं तो एक बार इस फेस्टिवल में जरूर शिरकत करें. फेस्टिवल में चार चाँद लगा देते हैं फेस्ट के दौरान मिलने वाला पारंपरिक भोजन जो बेहद लजीज होता है. और अगर आप जीरो जा ही रहे हैं तो यहां की खूबसूरती का भी लुत्फ जरूर उठाएं.
फेस्टिवल के दौरान यहां आने वाले पर्यटकों के लिए टेंट की सुविधा मौजूद होती है. जो आधुनिक सुविधाओं से लैस होते हैं. इसके अलावा लॉज और होमस्टेज़ का ऑप्शन भी है. हालांकि फेस्टिवल के दौरान इनके लिए आपको थोड़े ज्यादा पैसे चुकाने पड़ सकते हैं.
कैसे पहुंचे जीरो …..?
अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर या नहारलगून रेलवे स्टेशन से जीरो की दूरी करीब 120 किलोमीटर है. असम के लखीमपुर शहर से जीरो की दूरी 100 किलोमीटर है. लखीमपुर से भी जीरो के लिए शेयरिंग सूमो सेवा मिलती रहती है. आप गुवाहाटी तक ट्रेन या फ्लाइट से भी जा सकते हैं. आपके आगे की यात्रा के लिए निजी बस और टैक्सी उपलब्ध हैं.