शिलांग में स्थित है शीशे से बना भारत का पहला मस्जिद
शिलांग
यह भारत का पहला शीशे से निर्मित मस्जिद है| महिलाओं के लिए भी मस्जिद में नमाज़ पढने की ख़ास व्यवस्था है | इस क्षेत्र का यह पहला ईदगाह है जिसके द्वार महिलाओं के लिए भी खुले है।
शिलांग के गैरिसन मैदान के समीप लाबान इलाके में खूबसूरत ढंग से निर्मित यह विशाल मदीना मस्जिद है। यह शीशे से बना भारत का पहला मस्जिद है। मदीना मस्जिद आकर्षक ढंग से शीशे के गुंबंदों और मीनारों से बना है। शिलांग मुस्लिम यूनियन के महासचिव और मेघालय के मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार सईदुल्लाह नोंग्रुम के मुताबिक यह वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है।
नोंग्रुम ने बताया कि मदीना मस्जिद को बनाने में डेढ़ साल का वक्त लग गया। यह भारत का पहला शीशे से निर्मित मस्जिद है और पूर्वोत्तर क्षेत्र का सबसे बड़ा मस्जिद है। मस्जिद में शीशे से की गई जटिल नक्कासी की वजह से मस्जिद का परिसर रात के वक्त रौशनी से जगमगाता रहता है।
इस मस्जिद में “मेहरबाँ” नाम से एक अनाथालय भी चलाया जाता है। “मरकज़” या एक धार्मिक संस्थान भी यहाँ है जो इस्लाम धर्म की शिक्षा देता है। यहाँ एक पुस्तकालय भी है जहाँ धर्म की पुस्तकें उपलब्ध है।
मदीना मस्जिद में 2000 नमाजियों के एक साथ नमाज़ पढने की व्यवस्था है। वहीँ महिलाओं के लिए भी मस्जिद में नमाज़ पढने की ख़ास व्यवस्था है।
शीशे से बने इस खूबसूरत मस्जिद के निर्माण में 2 करोड़ रुपयों की लागत आई है। शिलांग मुस्लिम यूनियन और अन्य शुभचिंतकों से मिली राशि को भी मस्जिद के निर्माण में खर्च किया गया है।
नोंग्रुम बताते हैं कि वर्ष 1982 में जब जब उन्हों ने शिलांग मुस्लिम यूनियन का महा सचिव का पदभार संभाला, तब यूनियन के पास केवल 12 रूपए 76 पैसे की पूंजी थी | नोंग्रुम ने अपनी क़ाबलियत, और जराए से उसी 12 रूपए 76 पैसे से काम शुरू किया और किसे से एक पाई का मदद लिए बिना न केवल शिलांग मुस्लिम यूनियन की माली हालत दुरुस्त किये बल्की यह विशाल मदीना मस्जिद को भे उस के शक्ल दे दिया | आज उसी 12 रूपए 76 पैसे से शुरू हुआ शिलांग मुस्लिम यूनियन द्वारा कालेज, भी चलाया जा रहा है | जिस से होने वाली आमदनी मस्जिद में खर्च किया जाता है |
नोंग्रम के मुताबिक इस मस्जिद की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके निर्माण में अधिकाँश मजदूर हिन्दू थे जो पक्ष्मी बंगाल के कूचबेहार से आये थे|
इस क्षेत्र का यह पहला ईदगाह है जिसके द्वार महिलाओं के लिए भी खुले है। नोंग्रम का कहना है कि जब महिलाएं बाजार जाती है तो हम विरोध नहीं करते, फिर एक महिला मस्जिद जाकर प्रार्थना क्यों नहीं कर सकती? लोग इसका विरोध क्यों करते है?
शिलांग मुस्लिम यूनियन का गठन तत्कालीन पूर्व बंगाल में 1905 को हुआ था। उस समय यह सिलीगुड़ी से कॉक्स बाजार और चित्तागोंग से डिब्रुगढ़ तक फैला हुआ था, लेकिन 1947 में भारत के विभाजन के बाद शिलांग मुस्लिम यूनियन ने अपनी गतिविधियाँ असम तक सीमित कर ली। 1972 में मेघालय राज्य के गठन के बाद से इसकी गतिविधियाँ राज्य तक ही सीमित है।