ओडिशा- पिता को 15 किलो मीटर तक कंधे पर ढोना पड़ा बेटी का शव
अंगुल
24 घंटे के भीतर इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली दूसरी घटना सामने आयी है. खबर ओडिशा के अंगुल जिले से आयी है जहां एक गरीब पिता को अपनी बेटी का शव करीब 15 किलो मीटर तक कंधे पर ढोना पड़ा. इस मजबूर पिता का नाम ढीबर है और ये अपनी बच्ची की जान बचाने के लिए उसे शहर बेहतर इलाज के लिए लाया था, लेकिन वह उसे बचा नहीं सका.
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ढीबर अपनी पांच साल की बेटी का शव लेकर अस्पताल से बाहर निकले और एक किलोमीटर तक उन्हें ऐसी कोई मदद नहीं मिली जो उन्हें उनके गांव तक छोड़ पाती. ढीबर इस हालात की तस्वीर देख कर आप को कालाहांडी के दाना माझी ज़रूर याद आ गए होंगे जो पिछले साल इसी तरह मदद न मिलने पर अपनी पत्नी का शव लेकर लगातार 10 किलोमीटर तक चले थे.
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बता दें कि ओडिशा में महाप्रायण योजना के तहत मुफ्त शव वाहन सेवा गरीबों को उपलब्ध करवाई जाती है लेकिन ऐसे वाहन ज्यादातर जिला अस्पताल के बाहर मिलते हैं, न कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के बाहर. यह सेवा इसलिए दी जाती है ताकि वे परिवार जो शव वाहन की सुविधा के खर्चे को उठाने में समर्थ नहीं हैं, वह भी अपने परिवार के सदस्य के शव का सम्मानजनक रूप से अंतिम संस्कार कर पाएं.
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ढीबर भी कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर के बाहर अपनी बेटी सुमी को कंधे पर लादे निकले, उन्होंने इस बारे में अधिकारियों को सूचित नहीं किया लेकिन प्रशासन से भी अपनी ओर से जिम्मेदारी निभाने में चूक हो गई. पल्लाहारा कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर के पास सरकारी योजना के तहत शव वाहन नहीं है और वह जिला अस्पताल से ही गाड़ी मंगवाती है. जिला अधिकारियों का कहना है कि अगर ढीबर इंतज़ार कर लेते तो उन्हें शव वाहन जरूर मुहैया करवाया जाता.
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प्रशासन का कहना है कि आमतौर पर स्थानीय वाहनों से ही शव को ले जाया जाता है और उसका पैसा तुरंत ही आदिवासियों को रेड क्रॉस के जरिए दे दिया जाता है. इस मामले में अस्पताल के दो स्टाफ सदस्यों को लापरवाही के चलते हटा दिया गया है जिसमें एक जूनियर मैनेजर और सुरक्षा कर्मचारी है जिन्हें धीबर को शव को बाहर ले जाने से रोकना चाहिए था. वहीं सब डिविज़्नल मेडिकल अधिकारी से भी पूछा गया है कि क्यों न उनके खिलाफ कोई कार्यवाही की जाए.
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