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NRC मामला : सुप्रीम कोर्ट ने AASU, AAMSU और जमायत-ए उलेमा हिंद से SOP पर उनके विचार मांगे

NRC मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने AASU, AAMSU  और जमायत-ए उलेमा हिंद से SOP पर उनके विचार मांगे हैं. वह अपने विचार 25 अगस्त तक दाखिल करेंगे.


नई दिल्ली

असम में नागरिकता को लेकर बनाये जा रहे एनआरसी के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों को निर्देश दिया है कि वे सरकार की ओर से आपत्तियाँ और दावे पेश करने के लिए एसओपी पर अपना पक्ष रखें । कोर्ट ने सभी पक्षकारों को 28 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि 30 अगस्त से एनआरसी के फ़ाइनल ड्राफ़्ट के लिए दावे और आपत्तियाँ ली जाएँगी। कोर्ट ने एनआरसी के स्टेट कोआर्डिनेटर को निर्देश दिया कि वह सील बंद लिफ़ाफ़े मे जनसंख्या के अनुपात के हिसाब से जिलेवार उन लोगों की सूची दें, जो एनआरसी ड्राफ़्ट की लिस्ट से बाहर हैं।

14 अगस्त को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने एनआरसी में लोगों की आपत्तियों और दावों के निपटारे के लिए एक मानक नियम (एसओपी ) तैयार कर लिया है। पिछली 31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी के प्रकाशन के बाद उस पर लोगों की आपत्ति दर्ज कराने के लिए सरकार को प्रक्रिया और नियम संबंधी ड्राफ्ट (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया था।

सुनवाई के दौरान एनआरसी के कोआर्डिनेटर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 7 अगस्त से लोग ये जान सकेंगे कि एनआरसी के दूसरे ड्राफ्ट में उनका नाम किन वजहों से शामिल नहीं किया गया है। वे 30 अगस्त से 28 सितंबर तक आपत्ति दर्ज करा सकते हैं ।

पिछली 7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने असम के एनआरसी समन्वयक प्रतीक हाजेला और भारत के रजिस्ट्रार जनरल शैलेश को मीडिया से बात करने पर कड़ी फटकार लगाई थी। जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरीमन ने दोनों को मीडिया से बात करने पर रोक लगा दी थी।

दोनों ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में एनआरसी की पूरी प्रक्रिया और दस्तावेजों के बारे में विस्तार से बताया था, जिन पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को चेतावनी देते हुए कहा था कि आप एनआरसी को पूरा करने के काम में लगें , मीडिया से सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना बात नहीं करें। कोर्ट ने कहा था कि हाजेला और शैलेश कोर्ट द्वारा नियुक्त अधिकारी हैं और मीडिया में दिया गया उनका विस्तृत इंटरव्यू चौंकाने वाला है।

राज्य में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान के मद्देनज़र ये प्रक्रिया काफी अहम है। आपको बता दें कि 5 दिसंबर, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने असम के 48 लाख लोगों की नागरिकता के मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त करते हुए कहा था कि उन लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने का दोबारा मौका मिलेगा। कोर्ट ने कहा कि जिन 48 लाख महिलाओं को पंचायत द्वारा नागरिकता का प्रमाण पत्र दिया गया है, उसका वेरिफिकेशन के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है।

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