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नागरिकता संशोधन विधेयक राज्यसभा से पास

राज्यसभा में सरकार के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि विरोध में 105 मत पड़े।

नई दिल्ली

लोकसभा से पारित होने के बाद बुधवार को राज्यसभा से भी नागरिकता संशोधन विधेयक Citizenship Amendment Bill (CAB) पारित हो गया। राज्यसभा में सरकार के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि विरोध में 105 मत पड़े। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बनकर लागू हो जाएगा।

इस विधेयक के कानून बन्ने के बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा।

यह नागरिकता संशोधन बिल, नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया गया था, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा।

भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। इस बिल के पास होने के बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर छह साल करने का प्रावधान है।

इस कानून के अंतर्गत सिर्फ वही लोग भारतीय नागरिकता के योग्य होंगे, जो 31 दिसंबर 2014 के पहले से भारत में रह रहे हैं। इससे घुसपैठ पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।

यह विधेयक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, जिसमे समानता के अधिकार की मूल भावना के खिलाफ है।

पूर्वोत्तर के प्रदेशों में इस बिल के आने से उनकी संस्कृति और सभ्यता पर प्रभाव पड़ेगा।

असम में यह विधेयक असम करार, 1985 और NRC के खिलाफ है, क्योंकि असम करार 1985 के मुताबिक जो भी व्यक्ति 1971 के बाद प्रदेश में रहने आए, फिर चाहे वे किसी भी धर्म के हों, उन्हें असम में नागरिकता नहीं दी जा सकती। इस कारण असम में एनआरसी (NRC) और नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है।

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