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और छठ घाटों पर गूँजती रही शारदा सिन्हा की आवाज………

इस बार जब छठ पूजा मनाई तो जा रही थी, लेकिन शारदा सिन्हा के बिना यह पर्व कुछ फीका सा लग रहा था।

और छठ घाटों पर गूँजती रही शारदा सिन्हा Sharda Sinha की आवाज–   पद्म भूषण से सम्मानित मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का 5 नवंबर को नई दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वह 72 साल की थीं।  4 नवंबर को सिन्हा का आखिरी प्री-रिकॉर्डेड छठ ट्रैक ‘दुखवा मिटाईं छठी मैया’ रिलीज हुआ। उनके बेटे ने अपनी मां की प्रोफाइल से गाने का लिंक शेयर किया था।  कैप्शन में उन्होंने लिखा था, “इस बीच जब मेरी मां बीमारी से अपनी लड़ाई लड़ रही हैं, मैं उनके नए छठ गीत दुखवा मिटाईं छठी मैया का एक वीडियो पोस्ट करके एक छोटा सी कोशिश कर रहा हूं। ऑडियो रिलीज होने के बाद मैंने एम्स अस्पताल परिसर में सिर्फ अपने लैपटॉप और मोबाइल डेटा का इस्तेमाल करके यह वीडियो बनाया है। इसमें मेरी मां की खूबसूरत पुरानी यादों की कलेक्शन को छठ पर्व के मनमोहक दृश्यों के साथ जोड़ा गया है। “

उन्होंने लिखा, “मुझे उम्मीद है कि आप सभी मुझे अपना आशीर्वाद देंगे। मेरा बस इतना ही अनुरोध है कि अगर कोई इस वीडियो को देखने के बाद अपना हाथ ऊपर उठाए, तो वह मेरी मां के ठीक होने और उनके जीवन में वापस आने के लिए प्रार्थना करे।  मैं अपने दोस्तों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने इस प्रोजेक्ट को संभव बनाया।” लेकिन भगवान तो कुछ और ही मंजूर था। छठ पर्व से ठीक पहले शारदा सिन्हा को अपने पास बुलाया लिया।

और छठ घाटों पर गूँजती रही शारदा सिन्हा की आवाज.........

शारदा सिन्हा, जो भोजपुरी संगीत की एक अद्वितीय आवाज मानी जाती हैं, छठ के पर्व के संगीत से एक अहम जुड़ाव रखती हैं। उनके बिना इस बार छठ का पर्व कुछ अधूरा सा लगता है, लेकिन उनकी आवाज हमेशा हम सब के कानों में गूंजती रहेंगी।

शारदा सिन्हा: भोजपुरी संगीत की रानी

शारदा सिन्हा का नाम भोजपुरी संगीत की दुनिया में एक प्रतिष्ठित नाम है। वह न सिर्फ एक गायिका हैं, बल्कि भोजपुरी संगीत के उत्थान और प्रसार में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। शारदा सिन्हा की आवाज में जो भावनाओं की गहराई और शैली की मिठास है, वह सुनने वालों के दिलों में बस जाती है। उनका गायन न सिर्फ लोक संगीत की परंपराओं से जुड़ा है, बल्कि वे छठ पूजा के गीतों को भी अपनी आवाज से अमर बना चुकी हैं।

उनकी  गायन शैली का अंदाज काफी सरल और सीधा है, जो सीधे लोगों के दिलों तक पहुँचता है। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी संगीत की धारा को एक नया दिशा दी है, खासकर छठ के गीतों को लेकर। छठ पूजा के गीतों में उनकी गायकी ने इस पर्व की महिमा को और भी बढ़ा दिया है। उनकी आवाज में एक दिव्य प्रभाव है, जो श्रद्धा, भक्ति और समर्पण को व्यक्त करता है।

और छठ घाटों पर गूँजती रही शारदा सिन्हा की आवाज.........

 शारदा सिन्हा का छठ गीतों से जुड़ाव

शारदा सिन्हा का छठ गीतों से एक गहरा संबंध है। उनके द्वारा गाए गए छठ गीतों ने इस पर्व को एक नई पहचान दी। “हो शारदा जी”, “छठ के दिन”, “सुरुज देव के पूजा कइनी” जैसे उनके गीत आज भी हर घर में गूंजते हैं और श्रद्धालुओं की आस्था को गहराते हैं। उनके द्वारा गाए गए गीत न केवल छठ पूजा के आधिकारिक गीत बन गए हैं, बल्कि भोजपुरी समाज में उनकी एक पहचान बन गई है।

शारदा सिन्हा के गीतों में छठ की परंपराओं और उनके धार्मिक महत्व को इतने अच्छे तरीके से प्रस्तुत किया गया है कि वे आज भी लोक संगीत के सबसे पसंदीदा और महत्वपूर्ण हिस्से बन गए हैं। उनके गायन में जो सरलता और संजीवनी शक्ति है, वह सुनने वालों के दिलों में गहरी छाप छोड़ जाती है। उनकी आवाज में ऐसा आकर्षण है कि सुनते ही लोग आत्मा में एक शांति और श्रद्धा का अनुभव करते हैं।

और छठ घाटों पर गूँजती रही शारदा सिन्हा की आवाज.........

 शारदा सिन्हा की गायकी का प्रभाव

शारदा सिन्हा का गायन भारतीय लोक संगीत में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भोजपुरी सिनेमा के शुरुआती दिनों में जब फिल्मी गीतों के साथ-साथ लोक संगीत की भी अहमियत बढ़ी, शारदा सिन्हा ने अपनी गायकी से भोजपुरी संगीत को एक नई दिशा दी। उनके गायन का सबसे खास पहलू यह है कि उन्होंने भोजपुरी भाषा और संगीत को सम्मान दिया और उसे विश्वभर में लोकप्रिय बनाया। उनकी आवाज की मिठास, सरलता और गहराई ने उन्हें एक विशेष स्थान दिलाया।

उनकी गायकी में भावनाओं का सूक्ष्म चित्रण होता है। चाहे वह विवाह गीत हो, या फिर छठ पूजा के गीत, शारदा सिन्हा ने हर गीत को अपनी आवाज से जीवित किया है। उन्होंने लोक संगीत को एक नया आयाम दिया और उसे शास्त्रीय संगीत से भी जोड़ने की कोशिश की। उनका गायन न सिर्फ श्रोताओं को जोड़ता है, बल्कि उन्हें एक मानसिक शांति भी प्रदान करता है।

शारदा सिन्हा के बिना इस बार छठ का पर्व

इस बार जब छठ पूजा मनाई तो जा रही थी, लेकिन शारदा सिन्हा के बिना यह पर्व कुछ फीका सा लग रहा था। उनकी आवाज में जो आस्था और श्रद्धा का प्रभाव होता था, वह इस बार कहीं गायब था। हालांकि, उनकी आवाज़ की गूंज  पूरे घाट में गूंज रही थी।  छठ के गीत जैसे “हे सूरज देव” या “सुरुज देव के पूजा कइनी” बजाए जा रहे थे। और उन गीतों के माध्यम से शारदा सिन्हा की गायकी का प्रभाव महसूस किया जा रहा था।

शारदा सिन्हा का गायन हमेशा हमारे बीच रहेगा, और उनके गीतों की धुनों में छठ पूजा की वो विशेष भावना हमेशा हमारे दिलों में गूंजती रहेगी। उनके बिना छठ का पर्व सच में कुछ फीका महसूस होता है, लेकिन उनकी आवाज हमारे भीतर हमेशा जीवित रहेगी।

शारदा सिन्हा न केवल एक महान गायिका हैं, बल्कि भोजपुरी संगीत की धरोहर और संस्कृति का हिस्सा हैं। उनके गायन ने छठ पूजा को एक अलग पहचान दी है। उनकी गायकी की गूंज हर श्रद्धालु के दिल में हमेशा बसी रहेगी। शारदा सिन्हा की आवाज़ हमेशा हमारे बीच गूंजती रहेगी, और हम उन्हें श्रद्धा के साथ हमेशा याद करेंगे।

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