AJOOBA

Ajooba: मौत के दो महीने बाद भी शव में मुस्कान, दुनिया हो गई हैरान, जानिए कौन है वह इंसान

मौत के दो महीने बाद भी शव में है मुस्कान, यह देख कर सारी दुनिया हो गई है हैरान, वह इंसान है बौद्ध भिक्षुओं के गुरु लुआंग फोर पियान …..  घटना थाईलैंड की है जहां  गुरु लुआंग फोर पियान के शव की तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहीं है.  इन तस्वीरों ने सभी को हैरत में डाल दिया है……

वेब डेस्क 

कहते हैं कि किसी की मौत के बाद जब उसे दफन कर दिया जाता है तो उस का शरीर मिट्टी के साथ मिल जाता है.  लेकिन अगर आप को यह कहें की किसी को दफ़न करने के दो महीने बाद भी उस का शरीर ज्यों का त्यों है तो शायद आप को यकीन नहीं आएगा लेकिन. लेकिन यहाँ हम आप को  कुछ ऐसी ही घटना के बारे में बताने जा रहे हैं और ऐसी ही तस्वीर  भी दिखाने जा रहे हैं जिस ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है.

घटना थाईलैंड की है जहां बौद्ध भिक्षुओं के गुरु लुआंग फोर पियान के शव की तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहीं है.  इन तस्वीरों ने सभी को हैरत में डाल दिया है. गुरु लुआंग की शव की तस्वीर जिस ने भी देखा उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं. ये घटना पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई है.

दरअसल बौद्ध भिक्षुओं के गुरू लुआंग फोर पियान की मौत 92 साल की उम्र में 16 नवंबर 2017 को हुई थी. इसके बाद उनके शव को उसी मंदिर में दफनाया गया था, जहां वो सेवा करते थे.  लुआंग के भक्तों ने एक खास रस्म के लिए ठीक दो महीने बाद उनका शव कब्र से निकाला. लेकिन इस शव को देख कर सभी आश्चर्य में पड़ गए.

गुरु लुआंग के शरीर पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा था और उनके चेहरे पर मुस्कान थी, जैसे कि किसी जिंदा शख्स के चेहरे पर होती है. उनके शव को देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे कि उनकी मौत नहीं हुई वो कब्र में चैन की नींद में सो रहे थे. उनके चेहरे पर अलौकिक मुस्कान को देख कर वहां के बौद्ध भिक्षु भी स्तब्ध रह गए.

लुआंग के भक्तों ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि उनके चेहरे पर मुस्कान इस बात का संकेत है कि उन्हें मोक्ष मिल गया है.

वहीं विशेषज्ञों ने बताया कि शव को देखकर विश्वास नहीं होता कि बौद्ध संत का शव 2 महीने के बाद भी वैसी ही है. शरीर में बस उतना ही परिवर्तन हुआ है, जैसे कि उनकी मौत महज़ 36 घंटे पहले हुई हो.

बता दें कि बौद्ध भिक्षु के शव को निकालकर एक खास रस्म निभाई जाती है. इसमें शव को साफ और नए कपड़े पहनाए जाते हैं. फिर मंदिर में उनके शव को रखकर प्रार्थना की जाती है. ये प्रार्थनाएं तब तक चलती हैं, जब तक कि मौत को 100 दिन पूरे नहीं हो जाते. 100वें दिन फाइनल रेस्टिंग सेरेमनी होती है, जिसमें बौद्ध भिक्षु के गुरू लुआंग को हमेशा के लिए दफ़ना दिया जाएगा.

WATCH VIDEO OF DEKHO NORTHEAST

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button