वीर मेजर डेविड मानलून को श्रद्धांजलि
शिलांग
उग्रवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए मेजर डेविड मानलून का भावभीनी श्रद्धांजलि के साथ अंतिम संस्कार संपन्न किया गया| मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में 27 जुलाई 1985 में जन्में रिटायर्ड सूबेदार एम. खामजलाम के पुत्र मेजर डेविड मानलून ने भारतीय सेना में कमीशंड ऑफिसर बनने की ठान ली थी| मानलून के बड़े भाई मौजूदा शिलांग के असम रेजिमेंट में कार्यरत है जबकि उनकी बहन की शादी एक सैन्य अधिकारी के साथ हुई है|
एक एथलिट और एक फुटबॉलर रहे मेजर डेविड को बचपन से ही खेलों में रूचि थी और उन्होंने विभिन्न स्तरों पर अपनी टीम का प्रतिनिधित्व किया था| यहाँ तक कि वे संगीत को एक गिटारवादक और प्रसिद्ध गायक के रूप में पसंद करते थे। अंग्रेजी और हिंदी तथा अपनी मातृभाषा जौ के अलावा वे मिजो, कुकी और पायेत भाषाओं में कुशल थे। उनका व्यक्तित्व जीवन से भरा था| उन्हें परिवार, मित्रों और सहकर्मियों का भरपूर प्रेम मिला|
मेजर डेविड मानलून ने अपनी स्कूली पढ़ाई शिलांग स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल से पूरी की| वर्ष 2006 में उन्होंने शिलांग के St Anthony’s College से स्नातक की डिग्री हासिल की| 2009 में उन्होंने चेन्नई की ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी ज्वाइन की| मार्च 2010 में वे नगा रेजिमेंट की पहली बटालियन में शामिल हो गए| उन्होंने जम्मू-कश्मीर के नौगाम में बटालियन ज्वाइन की और दो साल वहीँ रहकर कई अभियानों में शामिल हुए| 2014 से उनकी पोस्टिंग नगालैंड की 164 इन्फेंट्री बटालियन में थी| यहाँ भी उन्होंने कई कामयाब अभियानों में हिस्सा लिया और उनकी बेहतरीन सेवा को देखते हुए 15 अगस्त 2016 में उन्हें Chief of Army Staff Commendation Card पुरस्कार से सम्मानित किया गया|
नगालैंड का अपना कार्यकाल लगभग पूरा करने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड में प्रतिनियुक्ति का विकल्प चुना था, जिसके लिए परिवीक्षा 23 जून 2017 को शुरू होनी थी। इसी बीच बीते मंगलवार की रात नगालैंड के मोन जिले में उल्फा(आई) और एनएससीएन(के) उग्रवादियों के साथ हुए मुठभेड़ में वे शहीद हो गए|