गंगटोक
By- Manzar Alam,
Founder Editor NESamachar, Former Bureau chief ( Northeast ), ZEE NEWS
सिक्किम के डोकलाम इलाके में सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच अभी भी तना तनी जारी हैI वर्ष 1962 के बाद यह पहला मौका है, जब इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच लंबा गतिरोध बना है, जिसके चलते दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं। डोकालाम एक ऐसा इलाका है, जिसे भूटान अपना मानता है, जबकि चीन इसपर अपना दावा करता है।
बढते सीमा विवाद को देखते हुए भारतीय सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी गयी तो चीन बोखला उठा और अब नया पैंतरा ले रहा है I सिक्किम विवाद पर चीन ने भारत को एक बार फिर से धमकी दी है और कहा है कि इस मसले पर अब बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है। चीन के मुताबिक समस्या का अब एकमात्र समाधान सिक्किम से भारतीय सैनिकों की वापसी है।
वहीं भारत ने चीन की इस अनुचिंत मांग के आगे झुकने से एकदम इनकार कर दिया है। रक्षा मंत्री अरूण जेटली ने एक बयान में कहा था कि यह 1962 का भारत नहीं है, लेकिन उनके बयान के कुछ दिनों बाद ही चीन की तरफ से भी कुछ ऐसा ही बयान आया।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ द्वारा जारी किये गये बयान में कहा गया है कि, ‘भारत को मौजूदा विवाद को 2013-14 के लद्दाख विवाद जैसा नहीं सोचना चाहिए या फिर उससे तुलना नहीं करनी चाहिए, जो कि चीन, पाकिस्तान, और भारत के बीच दक्षिणपूर्ण कश्मीर में एक विवादित इलाका है।
बता दें कि चीन द्वारा लद्दाख को ‘विवादित’ क्षेत्र कहना और कश्मीर का संदर्भ देना एक अलग संकेत करता हैं। बता दें कि ये पहली बार है जब चीन ने अपने सरकारी समाचार एजेंसी के जरिये ये स्पष्ट किया है कि सिक्किम मुद्दे पर अब दोनों देशों के बीच बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं रह गयी है।
शिन्हुआ ने आगे अपने बयान में लिखा है, ‘डोकलाम से सेना हटाने की चीन की मांग को भारत जानबूझकर नजरअंदाज करता आ रहा है, और चीन की बातों को अनसुना कर इस विवाद को और भी गंभीर बना रहा है I
बता दें कि डोकलाम में चीन सड़क बनाना चाहता है, लेकिन ये इलाका भूटान का है और चीन इस पर कब्जा किये हुए। भूटान के कहने पर भारत ने इस इलाके में सड़क बनाने की चीनी कोशिशों का विरोध किया है और वहां पर अपनी सेना तैनात कर दी है।
इस बीच अच्छी बात यह है कि भारत-चीन-भूटान सीमा विवाद के मुद्दे पर केंद्र सरकार को विपक्ष का पूरा सहयोग मिला है । डोकलाम सीमा पर भारत ने किसी भी सूरत में पीछे न हटने का फैसला किया। केंद्र सरकार के इस फैसले पर अन्य विपक्ष पार्टियों ने समर्थन किया है ।