असम का पहला फिल्म स्टूडियो रहा 100 साल पुराना भोलागुड़ी चाय फैक्ट्री धरोहर घोषित
विश्वनाथ चारियाली
भोलागुड़ी के 100 साल पुराने चाय बागान फैक्ट्री को राज्य सरकार ने असम का धरोहर घोषित कर दिया है| 1933 में आधुनिक असमिया संस्कृति के जनक रूप कोंवर ज्योति प्रसाद अगरवाला ने इस सौ साल पुराने चाय बागान फैक्ट्री को पहली असमिया फिल्म के निर्माण के लिए फिल्म स्टूडियो में बदल दिया था| मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने इसी को ध्यान में रखते हुए भोलागुड़ी के इस चाय बागान फैक्ट्री को राज्य का धरोहर घोषित किया है|
मुख्यमंत्री सोनोवाल ने कहा कि आठ दशक से अधिक समय पहले भोलागुड़ी के इस चाय फैक्ट्री को पहली असमिया फिल्म बनाने के लिए फिल्म स्टूडियो का रूप दिया गया था| अब राज्य सरकार इस धरोहर के संरक्षण की व्यवस्था करेगी| ज्योतिप्रसाद अगरवाला की 65वीं पुण्यतिथि के अवसर पर मंगलवार को शिल्पी दिवस के दिन आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की|
सोनोवाल ने उन दिनों को याद किया जब अगरवाला ने गुवाहाटी की पूर्वी दिशा में 310 किलोमीटर दूर भोलागुड़ी में अपने ही चाय बागान में चित्रवन स्टूडियो की स्थापना के लिए कष्ट उठाए थे और किस तरह उन्होंने कुछ ऐसे स्थानीय कलाकारों को लेकर फिल्म का निर्माण किया था जिन्होंने कभी जिंदगी में फिल्म नहीं देखी थी| सोनोवाल ने कहा कि यह बहुत ही प्रोत्साहन भरी कहानी है जो साहस, धैर्य और देश प्रेम की भावना जगाती है|
राज्य सरकार की असम चाय निगम के अधीन इस चाय बागान की हालत खस्ता है| असली चाय फैक्ट्री जिसे 1933 में अगरवाला ने फिल्म स्टूडियो में बदल दिया था उसकी हालत भी खस्ता हो चुकी है|
अगरवाला के योगदानों को याद करते हुए मुख्यमंत्री सोनोवाल ने कहा कि वे महज एक फिल्म निर्माता और कलाकार नहीं थे, ज्योतिप्रसाद अगरवाला एक क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी भी थे| उनके देशभक्ति के गीत पीढ़ी दर पीढ़ी में प्रेरणा जगाते रहेंगे|