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पूर्वोत्तर के कांग्रेसी नेताओं के साथ राहुल गाँधी की खास रणनीति पर चर्चा

नई दिल्ली

पूर्वोत्तर राज्यों में भाजपा की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने इन राज्यों के नेताओं के साथ दिल्ली दरबार में ख़ास रणनीति पर चर्चा की| हालांकि गुरुवार को आयोजित इस बैठक में असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की अनुपस्थिति को लेकर काफी चर्चाएँ रहीं| पिछले दिनों उन्होंने अपने राज्य में कुछ बड़े नेताओं पर भाजपा की बी-टीम की तरह कार्य करने का आरोप पत्रकारों के सामने लगाया था|

देशभर में करारी हार के बाद कांग्रेस अब अपना खोया हुआ जनाधार पाने की कोशिश में जुट गई है| इसके लिए पार्टी जहाँ एक तरफ आदिवासी राज्यों को चिंहित कर एक रोड मैप तैयार करने में लगी है तो वहीँ दूसरी ओर राहुल गाँधी पूर्वोत्तर में भाजपा की ताकत को रोकने के प्रयास में लगे है|

दिल्ली में कांग्रेस के चुनावी वार रूम ‘रकाबगंज’ में हुई बैठक में पूर्वोत्तर राज्यों के सभी कांग्रेसी मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद तथा विधायकों के साथ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी की दो घंटे तक मैराथन बैठक हुई| बैठक में राहुल ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों की भाषा और संस्कृति शेष भारत से बिलकुल भिन्न है| उन्होंने आश्चर्य जताया कि इसके बावजूद भाजपा कैसे इन राज्यों में घुस गई|

पूर्वोत्तर में भाजपा को रोकने के लिए राहुल गाँधी ने सभी कांग्रेसियों को भाजपा के छिपे एजेंडे को जनता के सामने लाने को कहा है| राहुल ने केंद्र सरकार और पूर्व नगा उग्रवादियों के बीच हुए नगा समझौते का भी जिक्र किया| उन्होंने कहा कि नगा समझौते में क्या समझौता हुआ है यह बात अभी तक किसी को मालूम नहीं है| उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस समझौते में नगा लोगों को अँधेरे में रखा गया है| इसे जनता के सामने लाना होगा तभी पूर्वोत्तर की जनता का कांग्रेस पर भरोसा बढ़ेगा|

बैठक में राहुल गाँधी के पूर्वोत्तर दौरे की रूपरेखा भी बनाई गई | इसके साथ ही कांग्रेस आदिवासी इलाके वाले राज्यों को ख़ास तौर से चिंहित कर रही है| जहाँ कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर पहुँच बनाकर कार्य करने का निर्देश दिया गया है|

पूर्वोत्तर राज्यों में कांग्रेस की पहुँच बनाने के लिए इंदिरा गाँधी ने पूर्वोत्तर समन्वय समिति का गठन किया था| पूर्वोत्तर राज्यों में आज भी परंपरागत तौर पर कांग्रेस के वोटर हैं, जिनमें आदिवासी बहुल सबसे ज्यादा  हैं| हालाँकि लंबे अरसे से कांग्रेस को इस समिति की जरुरत नहीं पड़ी, लेकिन हाल के वर्षों में कांग्रेस जिस तरह देश से गायब होने के कगार पर है 2016 में इसे फिर से जिंदा किया गया| मेघालय के मुख्यमंत्री मुकुल संगमा को इसके अध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा गया| समिति की अगली बैठक शिलांग में होगी|

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