यूनेस्को के साथ दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे का करार
दार्जिलिंग
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे ने अपने धरोहर को सहेजने की पहल करते हुए यूनेस्को के साथ करार कर लिया है| दरअसल केंद्र सरकार भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों को रेलवे के माध्यम से जोड़ने पर विचार कर रही है| इसी के तहत शुक्रवार को दार्जिलिंग गोर्खा रंगमंच भवन में यूनेस्को के प्रतिनिधियों व रेलवे के बीच ऐतिहासिक फंड-इन-ट्रस्ट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए| इसका उद्देश्य यूनेस्को के विश्व धरोहर सूची में शामिल दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे का विकास तथा संरक्षण करना है|
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस मौके पर आयोजित एक समारोह में हिस्सा लेते हुए कहा कि भारतीय रेल को अपनी विरासत पर गर्व है और इस अमूल्य धरोहर के संरक्षण की दिशा में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी| उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोस में बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार और नेपाल जैसे देश है| इनके साथ हमारे मित्रता के रिश्ते है| हम इन देशों के साथ संपर्क बढ़ाना चाहते है| प्रभु ने कहा कि अगर इन पड़ोसी देशों को जोड़कर सर्किट बनाया जा सके तो इससे संवाद, पर्यटन, व्यापार, रोजगार और संपर्क बढ़ेगा|
प्रभु ने कहा कि दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के संरक्षण में स्थानीय लोगों की अहम भूमिका रही है| यही वजह है कि आज इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर कर हमने भविष्य में इसकी प्रगति के मार्ग को और प्रशस्त करने की दिशा में कदम बढ़ाया है| दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को यूनेस्को विश्व धरोहर के रूप में 2 दिसंबर, 1999 में सूचिबद्ध किया गया था| यह एशिया में विश्व धरोहर स्थली के रूप में दूसरे स्थान पर है|
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आगे कहा कि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों को जोड़ने का काम चल रहा है ताकि क्षेत्र में पर्यटन की क्षमता को बढ़ाया जा सके| रेलवे डिजिटल हो रहा है और पांच-छह दिन पहले एक ऐप जारी किया गया है, जिसके लिए कोई स्मार्टफोन नहीं चाहिए| ट्रेन टिकेटो के आरक्षण और टिकेट रद्द कराने के लिए ऐप का इस्तमाल किया जा सकता है|