गंगटोक ( सिक्किम )
सिक्किम सीमा पर भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद सुलझाने की सारी ज़िमेम्दारी भारत पर डालते हुए चीन ने धमकी भरे लहजे में कहा कि सैन्य विकल्प भारत की नीति पर निर्भर है. भारत को ही विवाद का हल तय करना है. यानी चीन ने दबे शब्दों में भारत पर हमले की धमकी दे डाली है.
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के एडिटोरियल में लिखा है कि भारत को एक बार फिर सबक सिखाने का वक्त आ गया है. इस बार नतीजे 1962 से भी बुरे होंगे. दरअसल सिक्किम सेक्टर पर तनाव के बीच चीन ने भारत को 1962 के युद्ध में भारत की हार याद दिलाई थी. इसके बाद रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि भारत को 1962 वाला देश समझने की भूल चीन को नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा था कि अब वक्त बदल चुका है.
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उधर चीन के राजदूत लुओ झाओहुई ने भी साफ तौर पर कहा कि गेंद अब भारत के पाले में है. भारत को सोचना है कि गतिरोध को दूर करने के लिए कौन-से विकल्प हैं. उन्होंने कहा कि चीन सरकार इस मसले का शांति से हल निकालने को लेकर स्पष्ट है. लेकिन, इसके लिए भारत का अपनी सेना हटाना पहली शर्त होगी. सीमा विवाद को सही तरह से नहीं सुलझाने पर युद्ध की संभावना को लेकर पूछे गए एक सवाल पर चीनी राजदूत ने यह जवाब दिया था .
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बता दें कि ताजा गतिरोध 16 जून को शुरू हुआ था. इसके बाद विदेश मंत्रालय ने 29 जून को एक बयान जारी करते हुए कहा था, ’16 जून 2017 को चीनी सेना ने डोकलाम इलाके में डोकला से भूटान की ओर जोम्पेलरी आर्मी कैम्प तक सड़क निर्माण शुरू किया. भूटान और चीन के बीच सीमा पर बातचीत जारी है और हमारे बीच 1988 और 1998 का लिखित समझौता है, जिसमें कहा गया है कि जब तक कि लंबित सीमा का मसला हल नहीं हो जाता, दोनों पक्ष शांति बनाए रखेंगे और अपनी-अपनी सीमा पर शांति बरकरार रखेंगे ताकि सीमा पर मार्च 1959 की स्थिति को बनाए रखा जा सके.
समझौते भी कहते हैं कि दोनों पक्ष सीमा पर यथास्थिति बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई या ताकत के इस्तेमाल से खुद को दूर रखेंगे. भूटान ने चीनी पक्ष को जमीनी और कूटनीतिक दोनों स्तर पर यह बता दिया है कि भूटानी इलाके की ओर में हो रहा सड़क निर्माण सीधे तौर पर समझौतों का उल्लंघन है और इससे दोनों देशों के बीच सीमा को तय करने की प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है. भूटान को उम्मीद है कि डोकलाम इलाके में 16 जून 2017 से पहले की स्थिति बरकरार रहेगी.’