बोडो समझौता Bodo Accord, शांति, सद्भाव और एकजुटता की नई सुबह- PM Modi
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि शांति, सद्भाव और एकजुटता की नई सुबह! आज भारत के लिए एक बेहद खास दिन।
नई दिल्ली
बोडो समूहों के साथ हुए बोड़ो समझौते की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी PM Modi ने कहा कि ” बोडो समझौता असम के लिए शांति, सद्भाव और एकजुटता की नई सुबह लेकर आएगा और जो लोग सशस्त्र संघर्ष समूहों से जुड़े हुए थे, वो मुख्यधारा में शामिल होंगे और राष्ट्र की प्रगति में योगदान देंगे।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि शांति, सद्भाव और एकजुटता की नई सुबह! आज भारत के लिए एक बेहद खास दिन। बोडो समूहों के साथ आज जिस समझौते पर दस्तखत किए गए उसके बोडो लोगों के लिए परिवर्तनकारी परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि यह करार कई मायनों में अलग है क्योंकि यह प्रमुख पक्षकारों को एक कार्य ढांचे में साथ लेकर आता है।
Ushering in a new dawn of peace, harmony and togetherness!
Today is a very special day for India.
The Accord with Bodo groups, which has been inked today will lead to transformative results for the Bodo people. pic.twitter.com/Y0QYlWvYqU
— Narendra Modi (@narendramodi) January 27, 2020
उन्होंने कहा कि पूर्व में जो लोग सशस्त्र संघर्ष समूहों के साथ जुड़े हुए थे वे अब मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं और राष्ट्र की प्रगति में योगदान दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि बोडो समूहों के साथ हुआ समझौता बोडो लोगों की विशिष्ट संस्कृति को और संरक्षित और लोकप्रिय बनाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी पहुंच कई विकास परक पहलों तक होगी। बोडो लोग अपनी अकांक्षाओं को पूरा करें, इसमें मदद करने के लिए हम हरसंभव मदद को प्रतिबद्ध हैं।
केंद्र सरकार ने असम के उग्रवादी समूहों में से एक, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड ( NDFB ) के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। लंबे समय से बोडो राज्य की मांग करते हुए आंदोलन चलाने वाले ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन ( ABSU ) ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस त्रिपक्षीय समझौते पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, एनडीएफबी के चार गुटों के नेतृत्व, एबीएसयू, गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येंद्र गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्णा ने गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए।
समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) और यूनाइटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन भी शामिल हैं। एबीएसयू 1972 से ही अलग बोडोलैंड राज्य की मांग के लिए आंदोलन चला रहा है।
गृहमंत्री ने समझौते को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया और कहा कि इससे बोडो लोगों की दशकों पुरानी समस्या का स्थायी समाधान होगा। उन्होंने कहा कि इस समझौते से बोडो क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास होगा और असम की क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किए बगैर उनकी भाषा और संस्कृति का संरक्षण होगा।
असम के स्वस्थ मंत्री हिमंत विश्वशर्मा ने कहा कि समझौते के मुताबिक एनडीएफबी के 1550 उग्रवादी 30 जनवरी को हथियार छोड़ देंगे, अगले तीन वर्षों में 1500 करोड़ रुपए का आर्थिक कार्यक्रम लागू किया जाएगा, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों की 750-750 करोड़ रुपए की बराबर भागीदारी होगी।
उन्होंने कहा कि बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद् (बीटीसी) के वर्तमान ढांचे को और शक्तियां देकर मजबूत किया जाएगा तथा इसकी सीटों की संख्या 40 से बढ़ाकर 60 की जाएगी। बोडो बहुल गांवों को बीटीसी में शामिल करने और जहां बोडो की बहुलता नहीं है, उन्हें बीटीसी से बाहर निकालने के लिए आयोग का गठन होगा। यह पिछले 27 वर्षों में तीसरा बोडो समझौता है।