भोगाली बिहू मेला- जहां मिलता है पारंपरिक पकवान
गुवाहाटी
माघ के महीने में जब पंजाब में लोढ़ी, दक्षिण भारत में पोंगल, और उत्तर भारत में मकर संक्रान्ति का तेवहार मनाया जाता है तब असम में बिहू का तेवहार मनाया जता है जिसे “ बोहागी बिहू ” के नाम से जाना जाता है. ढेकी में चावल कूटती, तवे पर तिल, नारियल और चावल के पीठा बनाती यह महिलायें और बड़ी सी कढ़ाई में गन्ने के रस से गुड़ बनाता यह व्यक्ति और स्वादिष्ट और पारंपरिक पीठा बनाने में व्यस्त महिलाएं. यह दृश्य किसी गाँव के नहीं बल्कि गुवाहाटी में आयोजित एक “ भोगाली बिहू मेला ” का है जहां मिलता है हर तरह के पारंपरिक पकवान. इस मेले में जहां ग्रामीण जीवन के साथ साथ गाँव में बिहू की तैयारी को दर्शया जाता है वहीं शहर वासियों को मुनासिब कीमत कर गाँव की शुद्ध और पारंपरिक व्यंजन भी मुहैया करवाए जाते हैं. इस लिए गाँव के इस माहोल में ग्रामीण महिलाएं अपना अपना स्टाल लगाती हैं और गर्म गर्म ताज़ा पीठा बना कर साथ ही साथ बेचती हैं. बिहू एक ऐसा तेव्हार है जिस का इन्तेज़ार बच्चे, बूढे, और जवान सभी बड़ी बेसब्री से करते हैं. करें भी कियों नहीं इस दिन तरह तरह के पकवान जो खाने को मिलते हैं. अगर यह कहा जाए कि बिहू का तेवहार अगर असमिया संस्कृति और परम्परा को सजोए रखने का एक अवसर है तो युवा पीढ़ी को असमिया संस्कृति और परम्परा से रु बरु करवाने का एक ज़रिया भी है
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