असम – बोड़ोलैंड की मांग में आब्सू, एनडीएफबी (पी) और पीजेएसीबीएम की जनसभा
रौता
अलग बोड़ोलैंड की मांग कर रहे आंदोलनकर्ताओं ने एक बार फिर अपने लोकतांत्रिक जनांदोलन को उदालगुड़ी में जनसभा के माध्यम से शुरू किया| जनसभा में आंदोलन के नेताओं ने आंदोलन कार्यसूची की घोषणा की| इसके तहत 12 जून को 6 से 8 बजे तक 2 घंटे के लिए ब्लैक-आउट, जुलाई महीने में संविधान क्लब, सितंबर महीने में आर्थिक नाकेबंदी आदि शामिल हैं|
अरुणाचल 24 से बात करते हुए आब्सू के अध्यक्ष प्रमोद बोड़ो ने कहा कि जब तक सरकार समस्या का स्थाई समाधान नहीं करती, आंदोलन जारी रहेगा।
बीते 25 अप्रैल को नई दिल्ली में राजनीतिक स्तर पर त्रिपक्षीय वार्ता के आयोजन को लेकर भारत सरकार द्वारा आब्सू, जॉइंट एक्शन कमिटी फॉर बोड़ोलैंड मूवमेंट और एनडीएफबी (पी) को आमंत्रण पत्र भेजा गया था जिसे देखते हुए आंदोलनकर्ताओं ने उसी दिन 24 घंटे के बोड़ोलैंड बंद को वापस ले लिया था| साथ ही वार्ता के के अनुकूल परिवेश बनाने के लिए अन्य सभी आंदोलन की कार्यसूचियों को वापस ले लिया गया था|
2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद कई बार आंदोलन के अंत में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की उपस्थिति में आयोजित त्रिपक्षीय राजनीतिक वार्ता से आंदोलनकर्ताओं को काफी उम्मीदें थी| वे किसी सकारात्मक नतीजे के इंतजार में थे|
क्षेत्र में स्थायी शांति और विकास के हित में आंदोलनकर्ता लंबित बोड़ोलैंड मुद्दे को काफी कम समय में सुलझाने की मांग कर रहे है| उन्होंने चर्चा के दौरान भारत सरकार से एक स्पष्ट और व्यावहारिक नीति निर्णय को अपनाने की मांग की है| बोड़ो जनजातीय समूह किसी भी कीमत पर अपनी अद्वितीय पहचान और संस्कृति की रक्षा को प्रतिबद्ध है और इसके लिए पिछले 50 वर्षों से आंदोलन जारी रहा है।
प्रमोद बोड़ो ने कहा कि बोड़ोलैंड राज्य गठन की मांग में अब तक 5000 बोड़ो लोगों की जान जा चुकी हैं|अब यह इस मुद्दे को हल करने का समय है क्योंकि भाजपा सरकार पूरे देश में इस मुद्दे को हल करने की प्रतिबद्धता के साथ सत्ता में आई थी।