NORTHEAST

असम- NRC ने ली जान, कानूनी लड़ाई के नहीं थे पैसे, कर ली आत्महत्या

असम में NRC ने एक और शक्श की जान ले ली.  मां की नागरिकता का केस लड़ने लिए पैसे नहीं होने के कारण बेटे ने की आत्महत्या .


गुवाहाटी

असम में एक शख्स के पास मां की नागरिकता का केस लड़ने के लिए पैसे नहीं थे.  मजबूरी  और गरीबी से तंग आकर उसने खुदकुशी कर ली.  पिछले रविवार को उसकी लाश पुलिस को पेड़ पर बंधे फंदे से लटकी मिली.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मृतक की पहचान 37 वर्षीय बिनय चंद के रूप में हुई है.  वह दिहाड़ी मजदूरी करता था.  20 दिन पहले ही वह पिता बना था.

बिनय कई दिनों से परेशान चल रहा था.  कारण- एनआरसी में उसकी मां का नाम नहीं था. असम की मतदाता सूची में उसकी मां को संगिद्ध नागरिक या डी वोटर के तौर पर शामिल किया गया था.

बिनय ने उसके बाद फॉरेनर्स ट्रिबूयनल में न्याय के लिए दरवाजा खटखटाया.  दिहाड़ी मजदूरी के जरिए जो कुछ रकम उसने जुटाई थी, वह इस कानूनी लड़ाई लड़ने पर खर्च कर दिया था .

परिजन और पड़ोसियों की माने तो  बिनय की मां फॉरेनर्स ट्रिबूयनल में केस हार गई थीं.  वह इसके बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहता था.  पर उसके पास आगे की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए पैसे ही नहीं थे. इसी बात ने उसे मानसिक रूप से तोड़ दिया था. खबरों की माने तो 20 दिनों पहले बिनय एक बेटे का पिता बना था.

मां शांति चंद ने पत्रकारों से कहा,वह तनाव में था, क्योंकि हमारे पास पैसे नहीं थे.  हम दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग हैं. यहां तक कि परेशान होकर वह मुझे भी कई बार डांट देता था.  कहता था- बगैर पैसों के कोर्ट में मैं कैसे तुम्हारे लिए कानूनी लड़ाई लड़ूं.

वहीं, पड़ोसियों का कहना है,  कि बिनय के परिवार के पास 1960 के दौरान के जमीन के कागजात हैं.  अभी तक ये लोग तब से हर चुनाव में वोट डाल रहे थे.  पर फॉरनर ट्रिब्यूनल ने उनकी मां को संदिग्ध नागरिक की श्रेणी में रखा, लिहाजा उनके पास हाईकोर्ट जाने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा.

आपको बता दें कि एनआरसी में असम के तकरीबन 1.25 लाख लोगों को बाहर रखा गया है.  इन लोगों को संदिग्ध नागरिक या डी वोर्टस बताया गया है.  ऐसा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किया गया था.  बिनय का परिवार भी इन्हीं लोगों में शामिल है

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