ईटानगर
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खंडू ने पूर्वोत्तर में एक अलग समय क्षेत्र की लंबित मांग पर बहस को पुनः छेड़ दिया है। नब्बे के दशक के मध्य में उत्तर-पूर्व राज्यों द्वारा उठाई जाने वाली यह मांग इस तर्क पर आधारित थी कि उत्तर-पूर्व में अन्य राज्यों से पहले सूर्यास्त होने के कारण कार्यालयों में शाम को ही बत्ती जलानी पड़ती है जिससे बिजली की अधिक खपत होती है| घड़ी को एक या डेढ़ घंटे तक आगे बढ़ा देने से इस परेशानी से बचा जा सकता है|
खांडू ने कहा, “हम सुबह 4 बजे उठ जाते हैं, लेकिन सरकारी कार्यालय सुबह 10 बजे खुलता है और शाम 4 बजे बंद हो जाता है जिससे दिन के कई घंटे बेकार हो जाते है|”
अलग समय क्षेत्र की मांग को लेकर खांडू का समर्थन गौहाटी हाई कोर्ट द्वारा एक जनहित याचिका को ख़ारिज किए जाने के कुछ दिन बाद आया है| इससे पहले असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने भी अलग समय क्षेत्र का मुद्दा उठाया था| उन्होंने सुझाव दिया था कि चाय बागान का समय जो कि भारतीय मानक समय से एक घंटे पहले है, क्षेत्र में इसका पालन किया जाना चाहिए।
जब भारत पर ब्रिटिशों का शासन था उस समय उन्होंने देश को बॉम्बे समय क्षेत्र, कलकत्ता समय क्षेत्र और बागान समय क्षेत्र में विभाजित किया था।
भारत वर्तमान समय में अंतर्राष्ट्रीय मानक, ग्रीनविच मीन टाइम (जीएमटी) से 5-1 / 2 घंटे आगे है। प्रस्तावित नया समय क्षेत्र उत्तर-पूर्व राज्यों को बांग्लादेश के बराबर जीएमटी से छह घंटे पहले ले जाएगा।