कनाश गाँव, मकर संक्रांति और “पटाली गुड़” की कहानी
जमशेदपुर– By Ali Imam ( पाठक nesamachar )
यहाँ से करीबन 80 किलोमीटर दूर धालभूमगढ़ अनुमंडल मे है कनाश गाँव, जो मशहूर है खजूर और खजूर के रस से बने गुड के लिए. मकर संक्रांति के अवसर पर खजूर से बना गुड़ की ख़ास मांग होती है. इसी लिए मकर संक्रान्ती नज़दीक आते ही बंगाल से ख़ास कारीगर यहाँ आते हैं जो खजूर के रस से गुड़ बनाने में माहिर होते हैं. कनाश गाँव, मकर संक्रांति और “पटाली गुड़” की कहानी दरअसल कहानी नहीं बल्कि एक गावं, एक तेवहार और एक पारंपरिक व्यंजन का अनोखा संगम है.
झारखंड राज्य का मशहूर तेवहार मकर संक्रान्ती ( जिसे टुसू के नाम से भी जाना जाता है ) के नज़दीक आते ही कनाश गाँव सुर्ख़ियों में आ जाता है. खजूर के रस से गुड़ बनाने वाले ख़ास कारीगर बंगाल से यहाँ पहुँच जाते हैं और गावं में डेरा जमा लेते हैं. दिन रात वोह व्यस्त हो जाते हैं खजूर का रस निकालने और उस इसे गुड बनाने में. खजूर के रस से बनाया गया गुड़ को स्थानीय लोग “पटाली गुड़” के नाम से जानते हैं.
“पटाली गुड़” बनाने वाले कारीगर चन्द्र शेखर बताते हैं की यह गुड़ पूरी तरह पारम्पारिक तरीकों से बनाया जाता है. सूर्य उदय होते ही कारीगर पेड़ों में चढ़ जाते हैं और मिट्टी के हांडी में खजूर के रस इकठ्ठा करते हैं. फिर इस रस को टब के आकर के एक बड़े से बर्तन में डालते है. एक टब में करीब 100 हांड़ी रस डाला जाता है और फिर इस टब को बड़े से चूल्हे पर रख कर उसे पकाया जाता है. जब रस से भीनी भीं खुशबू आने लगती है और रस का रंग पीला हो जाता है जो इस बात का इशरा है की अब यह रस गुड़ बनाने के लिए पूरी तरह पाक चुका है. अब रस को चोट छोटे गोल प्यालों में डाल कर उसे ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है. ठंडा होने के बाद उसे प्यालों से निकाल लिया जाता है, इस तरह खजूर के रस से “पटाली गुड़” बन कर तैयार हो जाता है.
“पटाली गुड़” की मांग झारखण्ड के साथ साथ बंगाल मे भी काफी होती है। मकर संक्रांति के अवसर पर “पटाली गुड़” से ही पीठा बनाया जाता है जो यहाँ का पारंपरिक व्यंजन है.
कनाश गाँव मे करीबन 300 परिवार रहते है, जो ढिबर जाती के हैं. इनका पेशा मछली पकड़ना और नदी के बालू से सोना छानना है. इस गावं में करीबन 500 से ज्यादा खजूर के पेड़ है. जो गावं की सुन्दरता में चार चाँद लगाने के साथ साथ यहाँ रहने वालों परिवारों के आमदनी का मुख्य ज़रिया भी हैं. माना जाता है कि “पटाली गुड़” खाने से पेट की बीमारी नहीं होती है. यह डायबटीज के रोगियों के लिए यह राम बाण का काम करता है. “पटाली गुड़” साल मे एक बार ठंड के मौसम में मकर संक्रांति के समय ही बनाया जाता है. कारीगर कहते हैं ठंड जितना अधिक होता है, “पटाली गुड़” उतना ही अच्छा बनता है.