What is Cloudburst: क्या होता है बादल फटना; Watch Video
ऐसे सभी प्रश्नों के उत्तर आप को आज के इस वीडियो में मिलने वाले है।
What is Cloudburst; क्या होता है बादल फटना ? बादल फटने की घटना कैसे घटती है ? बादल फटने के कारण क्या हैं ? बादल कब और क्यों फटता है ? अधिकतर पहाड़ी इलाकों में ही बादल क्यों फटते हैं ? बादल फटने की घटना का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है या नहीं ? और क्या कभी बादल फटने का लाइव वीडियो किसी ने लिया है ? ऐसे सभी प्रश्नों के उत्तर आप को आज के इस वीडियो में मिलने वाले है।
क्या होता है बादल फटना ?
भारतीय मौसम विज्ञान यानि IMD के मुताबिक अगर एक घंटे में 100 मिमी बारिश 10 किमी के दायरे में हो जाये तो उसे बादल फटना कहा जाता है । सामान्य तौर पर जमीन की सतह से 12 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होने वाली भारी बारिश को ही बादल का फटना माना जाता है. इस घटना को वैज्ञानिक भाषा में ‘क्लाउडबर्स्ट’ या ‘फ्लैश फ्लड’ भी कहा जाता है। माना जाता है कि जहां बादल फटता है वहां 100 लोमीटर घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है. कभी-कभी एक जगह पर एक से ज्यादा बादल फट सकते हैं। ऐसी स्थिति में बहुत ज्यादा नुकसान झेलना पड़ता है। जैसा कि साल 2013 में जब उत्तराखंड में बादल फटा तब भारी जान-माल का नुकसान हुआ था।
बादल फटने की घटना कैसे घटती है ?
बादल फटने की घटना तब होती है। जब तापमान बढ़ने से भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह इकट्ठे हो जाते हैं। तब पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं जिस से बूंदों का भार भी बढ़ने लगता है और भर के बढ़ने से बादल की डेन्सिटी भी बढ़ जाती है। इसके बाद एक सीमित दायरे में अचानक से तेज बारिश होने लगती है। इस प्रक्रिया को ही बादल फटना कहा जाता है।
बादल फटने की घटनाएं अधिकतर पहाड़ों में घटते हैं
बादल फटने की घटनाएं अधिकतर पहाड़ों में घटते हैं इस के भी कारण है। धरती की सतह से 12-15 किलोमीटर की ऊंचाई पर बादल फटने की घटना ज्यादा होती हैं। हिमाचल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में पहाड़ों की ऊंचाई के कारण बादल आगे नहीं बढ़ पाते और एक ही स्थान पर इकट्ठे हो जाते हैं और अचानक से तेज बारिश होने लगती है ।
वैज्ञानिकों की मानें तो मानसून के दौरान गर्म हवाएं जब ठंडी हवाओं के संपर्क में आती है तब बड़े आकार के बादल बनते हैं। हालांकि, हिमाचल और उत्तराखंड में ऐसा ऊंचे ऊंचे पहाड़ों के कारण बादल फटने की घटनाएं ज्यादा होती हैं।
बादल फटने का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है या नहीं ?
एक और प्रश्न सामने आता है कि बादल फटने का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है या नहीं ? इस प्रश्न का उत्तर आप को इस तरह समझना होगा कि , बादल फटने की घटनाएं अक्सर एक से 10 किलोमीटर की दूरी के क्षेत्र में होती हैं। इस वजह से इनका पूर्वानुमान लगाना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, रडार से एक बड़े एरिया के लिए बहुत भारी बारिश का पूर्वानुमान मौसम विभाग लगा सकता है, लेकिन बादल फटने की घटना किस इलाके में होगी, यह पहले से बता पाना मौसम विभाग के लिए भी मुश्किल होता है।
जानें भारत में बादल फटने की घटनाएं कब-कब घटीं ?
भारती में, बादल फटने की घटना आमतौर पर तब होती है जब एक मानसून बादल बंगाल की खाड़ी या अरब सागर से मैदानी इलाकों से होते हुए हिमालय की ओर जाता है और फट जाता है, जिससे प्रति घंटे 75 मिलीमीटर की भारी वर्षा होती है।
पहले ऐसा माना जाता था कि बादल फटने की घटना सिर्फ पहाड़ों पर ही होती है, लेकिन मुंबई में 26 जुलाई साल 2005 के बादल फटने की घटना ने इस धारणा को बदल कर रख दिया.
वैसे तो हर साल बादल फटने की घटना पहाड़ों में होती है। खासकर उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में। इन राज्यों में हर साल सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है।
अगस्त, 2022: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में बादल फटने और अचानक आई बाढ़ से हुई तबाही में कई लोग मारे गए हैं।
जुलाई 2022: अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से 15 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। जबकि करीब 50 लोग लापता हो गये थे।
20 अक्टूबर, 2021: तमिलनाडु के सलेम जिले के पेथनैकेनपलायम शहर के ऊपर बादल फटा। इससे एक ही दिन में 213 मिमी बारिश हुई।
28 जुलाई, 2021: किश्तवाड़ जिले के दछन इलाके में हुंजर गांव में बादल फटने से 26 लोगों की मौत हो गई और 17 घायल हो गए।
मई 2021: उत्तराखंड के देवप्रयाग में बादल फटने से कई इमारतों और दुकानों को नुकसान पहुंचा था। इससे बिजली की लाइन, पेयजल लाइन और अन्य जरूरी सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हुई थीं।
जुलाई 2020: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में बादल फटने से 3 लोगों की मौत हुई थी। जबकि 9 लोग लापता हो गये थे। इस घटना में पिथौरागढ़ के तागा गांव और गेला गांव में दर्जनों घर ढह गये थे।
मई 2018: उत्तराखंड के चमोली में बादल फटने से कई वाहन मलबे और कीचड़ में फंस गये थे।
मई 2016: उत्तराखंड के टिहरी जिले में बादल फटने से आधा दर्जन गांव तबाह हो गये थे। 100 से ज्यादा जानवरों की मौत हो गई थी।
अगस्त 2015: हिमाचल प्रदेश के धरमपुर में बादल फटने से 3 लोगों की मौत हो गई थी। इस बाढ़ के कारण धर्मपुर बस स्टेशन डूब गया था और आवागमन ठप हो गया था।
जुलाई 2015: कश्मीर में इस महीने लगातार बादल फटने की 8 घटनाएं हुईं थीं। जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी। इस तबाही का सबसे ज्यादा असर घाटी के बड़गाम, कुपवाड़ा और गंदेरबल क्षेत्र में हुआ था।
जून 2013: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के केदारनाथ में बादल फटने से करीब 5 हजार लोगों की मौत हो गई थी।
दोस्तों अब आप समझ गए होंगे कि बादल फटने की घटनाएं कब , क्यों और कैसे घटती हैं।
Live Video of Cloudburst
लेकिन एक सब से महत्वपूर्ण प्रश्न अभी बाकी है। की बादल फटने की घटना के बाद तबाही का वीडियो और तस्वीरें तो हमें देखने को मिल जाति हैं लेकिन क्या कभी भी किसी ने भी बादल फटने की घटना का लाइव वीडियो शूट किया है । तो जवाब है हाँ।
वर्ष 2018 में एक फोटोग्राफर ने इस घटना को अपने कैमरे में कैद करने में कामयाबी पाई. ऑस्ट्रिया में स्थित मिलस्टैट झील के ऊपर बादल फटने की घटना को फोटोग्राफर पीटर मायर ने अपने कैमरे में कैद किया. जब यह दुनिया के सामने आया तो लोग दंग रह गए. और पहली बार लोगों ने देखा की बादल फटने की घटना कैसे घटती है। आप भी देखिए चंद सेकंड का वीडियो।