ओड़िशा फायर के जवान 10 हाई पावर पंप लेकर खदान तक पहुंचे हैं, और खदान से पानी निकालने में जुटे हुए हैं।
शिलांग
मेघालय के अवैध कोयले की खदान में फंसे 15 मजदूरों के बारे में आज 19वें दिन भी किसी तरह की कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। सोमवार की सुबह श्रमिकों की तलाश में नौसेना के गोताखोर और प्रथम एनडीआरएफ, ओड़िशा अग्निशमन विभाग की टीम तथा मेघालय एसडीआरएफ के जवानों ने एक बार पुनः खदान में बड़े पैमाने पर अभियान आरंभ किया गया है।
ओड़िशा फायर के जवान 10 हाई पावर पंप लेकर खदान तक पहुंचे हैं, और खदान से पानी निकालने में जुटे हुए हैं। जबकि एनडीआरएफ, एनडीआरएफ, अग्निशमन विभाग व अन्य एजेंसियां किसी भी स्थिति के लिए खदान के पास मौजूद हैं।
बता दें कि गत 19 दिनों से खदान में फंसे 15 श्रमिकों के बारे में अभी तक कोई खास जानकारी नहीं मिल पाई है। एनडीआरएफ के गोताखोर खान से महज अब तक तीन हेलमेट ही बरामद करने में सफल हुए हैं। इलाके में भौगोलिक समेत अन्य तरह की कई चुनौतियां मौजूद हैं। दूर-दूर तक बिजली का नामोनिशान नहीं है। खदान स्थल तक पहुंचने के लिए कई छोटे-छोटे पहाड़ी नालों को पार कर जाना होता है। सड़क इलाके से काफी दूर है। जबकि पूरा इलाका पहाड़ी है। खदान स्थल पर रात बिताना संभव नहीं है, इसलिए सभी एजेंसियों के अधिकारी व जवान शाम होते ही वहां से अपने अस्थायी शिविर में लौट जाते हैं तथा पुनः दिन निकलने से पहले ही मौके पर पहुंचकर अभियान आरंभ कर देते हैं।
इलाके में इस तरह की 90 सुरंगे हैं, जिनके अंदर कोयला निकालने के लिए रेट माइन्स बनाई गई है। जिस सुरंग में हादसा हुआ है, उसके अंदर भी बड़े पैमाने पर रेट माइन्स बनी हुई है। श्रमिक इन्हीं किसी माइन्स के अंदर फंसे हैं। हालांकि उनके जीवित होने की संभावना बेहद कम आंकी जा रही है।
14 दिसम्बर से 71 सदस्यीय प्रथम बटालियन एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व अन्य एजेंसियों की टीम खदान में फंसे श्रमिकों की तलाश के लिए लगातार अभियान चला रही हैं, लेकिन उन्हें किसी भी तरह की कोई उपलब्धि हासिल नहीं हुई है।
मेघालय के ईस्ट जयंतिया हिल्स जिले के साइपुंग थानांतर्गत कसान गांव स्थित एक कोयले की अवैध खान में अचानक पानी भर जाने से खान के अंदर कोयला खोद रहे 15 श्रमिक फंस गए। दुर्घटनास्थल पर पहले दिन अभियान का नेतृत्व चला रहे एनडीआरएफ के असिस्टेंट कमांडेंट संतोष कुमार के अनुसार, हादसे वाले दिन से एनडीआरएफ की नौ सदस्यीय गोताखोरों की टीम लगातार खान के अंदर जाती है, लेकिन खान के अंदर की स्थिति की सही जानकारी नहीं होने के चलते हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं।
पंप के जरिए खान से पानी निकाला जा रहा है, लेकिन पानी का स्तर कम नहीं हो रहा था। एक्सपर्ट का माना है की घटना स्थल से केवल 500 मीटर दूरी पर बहने वाली लाइटेन नदी के पानी का खदान में आ रहा है यही वजह है कि खदान के अंदर पानी का स्तर कम नहीं हो रहा है। खदान की कुल गहराई 380 फीट से अधिक है। जिसमें 80 फुट से अधिक पानी भरा हुआ है। माइन विशेषज्ञ जसवंत सिंह गिल भी अपनी तजुर्बों को अभियान दल को दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मेघालय में पहले भी इस तरह की घटनाएं घट चुकी हैं। वर्ष 2012 में गारो हिल्स में भी एक ऐसा ही घटना घटी थी जिस में दर्जनों मजदूरों की मौत हो गयी थी.
हालांकी ग्रीन ट्रिब्यूनल के द्वारा मेघालय में कोयला खनन पर रोक लगा हुया है उस के बावजूद बावजूद, अवैध रूप से कोयला खदानों में खनन का कार्य चल रहा है।