
अगरतला
त्रिपुरा में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए शुक्रवार शाम को चुनाव प्रचार थम गया. इस बार के चुनाव में बीजेपी कड़ी टक्कर देते दिख रहे है. 60 विधान सभा सीटों के लिए 18 फरवरी को मतदान होने हैं.
बता दें कि त्रिपुरा में 1998 से मणिक सरकार के नेत्रित्व में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सत्ता में है जबकि बीजेपी ने तब से लेकर अब तक हुए 4 विधानसभा चुनावों में अपना खाता भी नहीं खोल सकी है.
लेकिन इस बार बीजेपी पूरी कोशिश में है कि पूर्वोत्तर भारत में असम के बाद त्रिपुरा में उस की पार्टी की सरकार सत्ता में आ जाए. शायद इसी लिए इस बार के चुनाव में राज्य में सत्तारुढ़ की मुख्य लड़ाई बीजेपी से देखने को मिल रही है. वहीं कांग्रेस की कोशिश है कि वह त्रिपुरा में अपना लंबा वनवास इस बार तोड़ने में कामयाब हो जाए.
मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने खुद ही स्वीकार किया है कि इस बार 25 साल से सत्तारूढ़ वाम मोर्चे को चुनौती परंपरागत प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से नहीं, बल्कि बीजेपी से मिल रही है.
2013 के चुनाव में बीजेपी 50 सीटों पर लड़ी और 49 में जमानत गंवा बैठी थी. 2013 विधानसभा चुनावों में बीजेपी को महज 1.54 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन दो साल बाद स्थानीय निकाय चुनावों में उसकी वोटों में हिस्सेदारी 14.7 फीसदी हो गई.
पांच साल पहले पार्टी के सदस्यों की संख्या बमुश्किल हजार के आसपास थी लेकिन अब दो लाख के पार हो गई है. राज्य की कुल आबादी 36 लाख के करीब है. और इस बार बीजेपी का दावा है की इस बार त्रिपुरा में उस की सरकार बनेगी.
प्रधान मंत्री ने भी एक दिन पहले अपने चुनावी भाषण में कहा था की 3 मार्च के बाद त्रिपुरा से वाम दलों का सफाया हो जाएगा.