तरुण गोगोई के बयान पर राज्यपाल ने जताया दुःख
गुवाहाटी
वीर लाचित बरफूकन और पंडित जवाहरलाल नेहरु को लेकर अपने मंतव्य पर पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के आक्षेप को लेकर राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने गहरा दुःख जताया है| मीडिया में इस बारे में राजनीतिक बयानबाजियों से आहत राज्यपाल ने कहा कि राजभवन को बेमतलब इस तरह के आरोप में घसीटा गया है| जबकि उनका कहना है कि लाचित बरफूकन एक राष्ट्रीय हीरो थे, उनके अप्रतिम योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है|
पुरोहित पर वीर लाचित बरफूकन को हिंदू सेनापति और पंडित नेहरु को नास्तिक कहने का आरोप लगाया गया था| खबर पर गहरा दुःख जताते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 1995 के फैसले का हवाला दिया| उसके मुताबिक हिंदुत्व कहे या हिन्दुइज्म, यह हमेशा से एक ही जीवन शैली रहा है जो मानव कल्याण से जुड़ा है| इसे हिंदू धर्म से जोड़कर नहीं देखना चाहिए|
राज्यपाल के मुताबिक मुगलों के खिलाफ लाचित बरफूकन की साहसी जीत का हवाला देते हुए उन्होंने विदेशी आक्रांताओं के खिलाफ एक राष्ट्रीय हीरो की असाधारण जीत की मुहीम ही बताई थी| उनकी यह टिप्पणी किसी तरह से सेक्युलर भावना के विपरीत और किसी भी धर्म को चोट पहुँचाने की मंशा से नहीं थी| लेकिन तरुण गोगोई जैसे अति सम्मानित व्यक्ति से बिना उनके कथन की पुष्टि किए विपरीत टिप्पणी काफी दुर्भाग्यजनक है|
उन्होंने कहा कि राज्यपाल के रूप में उनका एकमात्र लक्ष्य राज्य को तथा सभी समुदायों के लोगों को आपसी सद्भाव और भाईचारे की भावना से युक्त राज्य के रूप में आगे ले जाना है| लाचित बरफूकन और महापुरुष शंकरदेव जैसे महान व्यक्तियों को अभी तक राष्ट्रीय फलक पर वह स्थान नहीं मिला, जो मिलना चाहिए था|
राज्यपाल ने कहा कि वे बिना किसी आमंत्रण के लचित मैदाम में इस हीरो के प्रति श्रद्धा जताने गए थे| राजभवन तो लगातार इस प्रयास में है कि कैसे उन्हें राष्ट्रीय फलक पर स्थापित किया जाए| ठीक इसी प्रकार वे इस प्रयास में है की महापुरुष शंकरदेव को भी साड़ी दुनिया शेक्सपीयर से महान माने|
राज्यपाल ने कहा कि शेक्सपीयर से अधिक नाटक लिखने के बावजूद महापुरुष शंकरदेव को वह मान्यता दुनिया ने नहीं दी, जिसके वे हकदार थे| रही बात पंडित नेहरु की तो उनके बारे में उन्होंने एक उद्धरण का हवाला देते हुए उन दोनों के बीच के संवाद को दोहराया था| उन्होंने अपनी ओर से कोई टिप्पणी नहीं की थी|