गुवाहाटी
वात्सल्य मूर्ति दीदी माँ श्री साध्वी ऋतम्भरा गौहाटी गौशाला के वृंदावन गार्डन में चल रही श्रीराम कथा के प्रवाह को गति देते हुए वृहस्पतिवार को कहा कि जब आपके चित्त पूर्णता में अनुभव होने लगे तो समझिए आप पर श्रीराम की कृपा हुई। श्रीराम कृपा से यदि आपके चित्त में संतोष है तो उसकी झलक चेहरे पर भी जरूर दिखाई देगी। उन्होंने कहा कि सफलता के शिखर पर खड़ा व्यक्ति सदैव अकेला होता है। उसे यदि सभी का संग चाहिए तो शिखर से नीचे उतरना ही होगा ।
श्रीराम कथा सत्संग समिति, गुवाहाटी के तत्वावधान में आयोजित श्रीराम कथा के आज के प्रसंग में प्रवेश करते हुए दीदी मां ने जनक नगरी मिथिला में जनक कुमारी की सौभ्यता और जनकपुरी के प्राकृतिक सौंदर्य की चर्चा की। उन्होंने मिथिला नगरी को अदभुत बताते हुए कहा कि वहां के निवासी जानकी के सामने तो श्रीराम को भी कुछ नहीं समझते। जनक की नगरी में तो आम की डाल पर बैठी कोयल भी सिया-सिया करती है। विश्वमित्र के साथ जनक नगरी आए राम-लखन के गुरु की आज्ञा लेकर नगर भ्रमण को निकलने, पुष्प वाटिका में सखियों संग गौरी पूजन को जा रही सीता से मिलन, धनुष तोड़ने से लेकर राम- सीता विवाह प्रसंगों की व्याख्या करते हुए दीदी भी अलग-अलग भावों में डूबती- उतरती नजर आई।
दीदी माँ ने कहा कि पुष्प वाटिका में जानकी स्तब्ध होकर दोनों भाइयों को देख रही है और उनका परिचय जानने को व्याकुल हो रही है, जिसने सीता का चित्त चुरा लिया । प्रसंग को आगे बढाते हुए उन्होंने कहा कि जिस धनुष को दस हजार हाथ एक साथ मिलकर नहीं उठा पाए, उसे जब श्रीराम ने बड़ी आसानी से तोड़ डाला, तब जाकर राजा जनक के मन में संतोष हुआ कि अयोध्या नरेश का बड़ा पुत्र उनका जामाता बनने जा रहा है। बाद में बड़ी धूमधाम से राम-सिया का विवाह कार्य संपन्न हुआ ।
मुरव्य यजमान विजय कुनार जसरासरिया के परिवार के सदस्यों द्वारा बड़े ही मनोरम ढंग से राम-सीता विवाह की सजीव झांकी प्रस्तुत की गयी ।
वात्सल्य मूर्ति दीदी मां ने कहा कि रामचरित मानस सुनने से चित्त पवित्र होता है और व्यक्ति भी व्यक्तित्व से विराट हो जाता है। रामचरित में भारत की आत्मा बसती है, क्योंकि हमारे वेद-रच्नावों में ही दिव्य भारत की कल्पना की गई है। हमेँ यदि इस दिव्यता को धारण करना है तो सांस्कृतिक -वैदिक माहौल में जाकर खड़ा होना ही होगा। दीदी मां ने कहा कि अंग्रेजी स्कूल में पढ़कर आने के बाद हम अपने बच्चों को उनके जूते तक नहीं उतारने देते तो समझिए हमारे देश का भविष्य कैसा होगा। जो बच्चा अपने जूते नहीं उतार सकता, वह मेहनत क्या करेगा और ऐसे बच्चों के शव जब पंखे से लटकते मिलते हैं तो जननी जार- जार रोती है।
एक हमारे गुरुकुल थे, जहाँ से 25 साल की उम्र के पौरुष पूरी तरह से तैयार होकर निकला करते थे। आज मनुष्य बनने की नहीं , डिग्री हासिल करने की होड़ है ताकि अच्छी से अच्छी नौकरी प्राप्त की जा सके।
अनज की कथा प्रारंभ होने से पूर्व मुख्य यजमान परिवार के द्वारा व्यासपीठ के पूजन के साथ ही दीदी मां का स्वागत अभिनंदन किया गया। इस मौके पर ओम-प्रकाश लाहोटी, अनुप पोद्दार (सपत्निक), आनंद पोद्दार, निर्मल तिवारी, नवल किशोर , रमेश चाचान, पितराम केडिया, प्रदीपमोर भडेचा, किशोर साबू श्रीमती रंजु झुनझुनवाला, मंजु साहा, विकास -नील्म अग्रवाल, सुमित्रा रूंगटा, कुसुम-अशोक धानुका, लक्ष्मी नारायण चौधरी, विनोद जसरासरिया, महावीर जसरासरिया, बसंत मित्तल, महेद्र मित्तल, वी के मिश्रा (एडीजीपी, होमगार्ड सिविल डिफेंस), प्रदीप भुवालका (सह मंत्री ), प्रमोद हरलालका (लाला) सह मंत्री, माखन अग्रवाल, सुशील गोयल, पवन साबू सुरज सिंघानिया, सुभाष दिग्गा स्वामी (परमानंद प्रवृति चिविक्सालय- प्रमुख, दिल्ली) और डा. वन्दना (नेचुरोंपैधिक परामर्शदाता) का दीदी माँ ने स्वागत किया। मालूम हो कि आयोजन के भोजन एवं आवास व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित करने में शंकर बिड़ला, राजकुमार सोमानी, पवन साबू और बनवारी लाल सारडा प्रशंसनीय भूमिका निभा रहे है।
श्रीराम कथा में सपत्नीक पहुंचे राज्यपाल, हुआ स्वागत – अभिनन्दन
श्रीराम कथा सत्संग समिति, गुवाहाटी के तत्वावधान में श्री गोहाटी गोशाला के वृंदावन गार्डन में चल रही श्रीराम कथा के चौथे दिन वृहस्पतिवार को राज्यपाल प्रोफेसर जगदीश मुखी ने सपत्यिक अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। वात्सल्य मूर्ति दीदी मान साध्वी ऋतम्भरा ने मुखी दंपत्ति का परंपरागत ढंग से स्वागत किया इस मौके पर श्रीराम कथा के मुख्य यजमान विजय कुमार जसरासरिया ने राज्यपाल का एवं श्री जसरासरिया की पत्नी विनिता जसरारिया ने राज्यपाल की पत्नी का फुल्लम गामोछा पहनाका स्वागत किया । राज्यपाल ने श्रोताओं के साथ बैठ कर करीब डेढ घंटे तक श्री राम कथा का श्रवण किया ।
सत्संग समिति के मंत्री अशोक धानुका ने राज्यपाल व उनकी पत्मी का आज के कार्यक्रम में स्वागत करते हुए उनकी उपस्थिति को आयोजन समिति का हौसला बढ़।ने बाला बताया। श्री धानुका ने कहा कि वात्सल्य मूर्ति दीदी मा के श्री राम कथा का श्रवण करने के लिए प्रतिदिन लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है I दीदी मां की ओजस्वी वाणी से श्री राम कथा से जुडे विभिन्न पहलुओं को बड़ी ही गहराई से जानने का मोका मिल रहा है।
इस कार्यक्म में वात्सल्य ग्राम के उपाध्यक्ष जयभगवान अग्रवाल ने भी अपना संक्षिप्त संबोधन दिया। श्री अग्रवाल ने सर्वमंगला पीठम की रूपरेखा सभी के सामने प्रस्तुत करते हुए ससभी से इस परियोजना से जुड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिए पाच लाख शिलाओं का संग्रह किया जाना है, जिन में से सवा लाख शिलाओं का संग्रह हो चुका है। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति 3300 रुपए की राशि प्रदान कर एक शिला दान करने का बड़भागी बन सकता है।