मैट्रिक परीक्षाओं में होगा क्रांतिकारी परिवर्तन, असम सरकार ने मानी विशेषज्ञ कमिटी की सिफारिश
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गुवाहाटी
सेबा के अधीन मैट्रिक की परीक्षा के परिणामों को लेकर विशेषज्ञ कमिटी की सिफारिशें मानते हुए असम सरकार ने क्रांतिकारी परिवर्तन का निर्णय लिया है| शिक्षा विभाग ने 65 फीसदी से कम परीक्षा परिणाम आने की हालत में इस बार विफल परीक्षार्थियों के लिए पुनर्परीक्षा के द्वार खोल दिए हैं|
समिति की सिफारिश के अनुसार ग्रेस मार्क की सीमा केवल अनुत्तीर्ण होने वाले परीक्षार्थियों के मामले में मात्र तीन विषयों के लिए 1 से 5 तक सीमित कर दी गई है| शिक्षा मंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने रविवार को समिति की सिफारिशों और शिक्षा विभाग की ओर से उठाए जाने वाले कदमों की विस्तार से जानकारी दी|
राज्य सरकार ने विगत 11 मई को चार कुलपतियों की एक समिति गठित की थी| शिक्षा मंत्री ने जानकारी दी कि गौहाटी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मृदुल हजारिका की अध्यक्षता में गठित इस समिति की सभी सिफारिशें पूरी तरह मानते हुए और इसे सेबा के पास क्रियान्वयन के लिए भेजा गया है| समिति ने अपनी सिफारिश में सेबा की ओर से नीतिगत तौर पर परीक्षा अंकों के नियतन(माडरेशन) की जरुरत बताई है| उसके अनुसार यह नियतन कठोर सांख्यिकीय विश्लेषण के आधार पर स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से होना चाहिए|
कुलपतियों की समिति ने इसी के साथ माडरेशन और अनुकंपा अंक देने के मामले में किसी भी तरह की गोपनीयता नहीं रखने की सिफारिश की है| शिक्षा मंत्री के मुताबिक सरकार भी चाहती है कि सब कुछ पारदर्शी तरीके से हो|
सरकार ने इस बार अनुकंपा-अंक के बाद भी फेल करने वाले परीक्षार्थियों के लिए पूरक परीक्षा आयोजित करने का सेबा को निर्देश दिया है| निर्णय लिया गया है कि इस साल फेल विद्यार्थियों को दो माह बाद एक और मौक़ा दिया जाए| शिक्षा मंत्री के मुताबिक आने वाले समय में अभिभावकों को हाईस्कूल के परीक्षार्थियों की उत्तर-पुस्तिकाएं सौंपने पर विचार किया जा रहा है|