नई दिल्ली- बोडो संगठनों का जंतर-मंतर पर जोरदार प्रदर्शन
बोडो संगठनों ने नई दिल्ली में दो दिवसीय आंदोलन चलाकर बोडो शांति समझौते, 2020 के पूर्ण कार्यान्वयन और 125वें संविधान संशोधन विधेयक को तत्काल पारित करने की मांग की।

नई दिल्ली- ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन ( ABSU ) ने यूनाइटेड बोरो पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (यूबीपीओ) और पूर्व एनडीएफबी वेलफेयर एसोसिएशन के साथ मिलकर बोडो शांति समझौते, 2020 ( Bodo Peace Accord ) के लंबित खंडों के तत्काल और समयबद्ध कार्यान्वयन की मांग को लेकर राजधानी में दो दिवसीय राष्ट्रीय आंदोलन आयोजित किया।
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में पूर्वोत्तर भारत की दस छठी अनुसूची परिषदों के नेताओं की उपस्थिति में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार के बाद, संगठनों ने जंतर-मंतर पर तीन घंटे का धरना दिया। धरने का मुख्य उद्देश्य 125वें संविधान संशोधन विधेयक, 2019 को पारित कराने की मांग को केंद्र सरकार तक स्पष्ट रूप से पहुँचाना था। यह संशोधन असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम की छठी अनुसूची परिषदों को वित्तीय और प्रशासनिक रूप से सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
एबीएसयू अध्यक्ष दीपेन बोरो ने कहा कि बोडो शांति समझौता क्षेत्र में स्थिरता और विश्वास बहाल करने वाला कदम था, लेकिन पाँच वर्ष बाद भी उसकी कई प्रमुख धाराएँ ज़मीन पर नहीं उतरी हैं। उन्होंने केंद्र, राज्य सरकार और एबीएसयू के बीच तत्काल त्रिपक्षीय वार्ता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि समयसीमा में देरी से समझौते की विश्वसनीयता प्रभावित होती है।
संगठनों का कहना है कि पिछले पाँच वर्षों में 12 से अधिक त्रिपक्षीय समीक्षा बैठकें और केंद्रीय नेतृत्व से कई दौर की मुलाकातें होने के बावजूद प्रगति धीमी रही है। इन परिस्थितियों ने समुदाय में चिंता बढ़ाई है कि सरकार निर्धारित समयसीमा के भीतर अपने वादों को पूरा करने को लेकर पर्याप्त गंभीर नहीं है।
लोकतांत्रिक दबाव को और मजबूत करने के उद्देश्य से, संगठनों ने दिसंबर 2025 में कोकराझार में एक बड़े जन-सम्मेलन का ऐलान किया है, जिसमें लगभग 2 लाख लोगों के उपस्थित होने की उम्मीद है।
मुख्य माँगें
संगठनों ने सरकार से निम्नलिखित बिंदुओं को तेज़ी से लागू करने की मांग की:
- 125वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कर BTC सहित सभी छठी अनुसूची परिषदों को अधिक वित्तीय स्वायत्तता देना।
- बीटीसी सीटें बढ़ाकर 60 करना
- अनुलग्नक-I के विषयों का हस्तांतरण
- ग्राम व नगर परिषदों को संवैधानिक दर्जा
- अनुच्छेद 280/275(1)(A) के तहत प्रत्यक्ष फंडिंग
- कार्बी आंगलोंग व दीमा हसाओ में Bodo-Kachari समुदाय को ST (पहाड़ी) दर्जा देना।
- बोरो कछारी कल्याण स्वायत्त परिषद (BKWAC) को पूर्ण मान्यता, शेष गांवों की अधिसूचना व चुनाव कराना।
- बीटीआर व उसके बाहर बोडो-माध्यम स्कूलों और कॉलेजों का प्रांतीयकरण।
- सोनितपुर, बिस्वनाथ व दक्षिणी बीटीआर के जनजातीय बहुल गांवों का समावेशन।
- वनाधिकार अधिनियम, 2006 के तहत जनजातीय समुदायों के भूमि अधिकार।
- लंबित मुकदमों की वापसी, शेष पूर्व-एनडीएफबी सदस्यों की रिहाई और शहीद परिवारों को मुआवज़ा।
- थुलुंगापुरी, कोकराझार में बोडोफा उपेन्द्र नाथ ब्रह्म की स्मृति में सांस्कृतिक परिसर का निर्माण।
- सेना, CAPF और असम पुलिस में बोडो युवाओं के लिए विशेष भर्ती अभियान।
- ₹1500 करोड़ के विशेष विकास पैकेज के सभी संस्थानों और अवसंरचना परियोजनाओं को लागू करना।
संगठनों ने स्पष्ट किया कि समयबद्ध कार्यान्वयन न केवल बोडो लोगों के विश्वास को मजबूत करेगा, बल्कि क्षेत्र में स्थायी शांति और दीर्घकालिक विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।








