कोहिमा
नागालैंड में होने वाले विधान सभा चुनाव न लड़ने की अपनी घोषणा के बाद अब बीजेपी ने यू टर्न ले लिया है. साथ ही पार्टी ने अपने नागालैंड इकाई के नेता खेतो सेमा को निलंबित कर दिया हैं. पार्टी का कहना है कि सेमा ने केंद्रीय नेताओं की अनुमति के बिना उस बयान पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें नगा समस्या के समधान के बिना चुनाव प्रक्रिया में भाग न लेने की बात कही गयी थी.
बता दें कि नागालैंड में सत्तारूढ़ पार्टी एनपीएफ, कांग्रेस उर बीजेपी समेत 11 सियासी दलों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है. राजधानी कोहिमा में सोमवार को आयोजित एक बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने नागा समस्या के समाधान की मांग का समर्थन करते हुए यह फैसला लिया है. इस बैठक में नागालैंड बीजेपी के उपाध्यक्ष खेतो सेमा भी मौजूद थे और उन्होंने अपनी पार्टी की तरफ से चुनाव के बहिष्कार वाले फैसले का समर्थन किया था.
लेकिन अब बीजेपी विधान सभा चुनाव न लड़ने के घोषणा से मुकर गई है और कह रहे है की इस संबंध में पारते के केन्द्रीय नेतृत्व का जो फुसला अहोगा वही मान्य होगा. नागालैंड भाजपा इकाई के अध्यक्ष विसासोली लहौंगु ने भी एक ब्यान दिया है कि पार्टी की राज्य इकाई विधानसभा चुनाव पर पार्टी हाईकमान से मिले दिशा-निर्देशों का पालन करेगी.
बीजेपी ने यह यू टर्न, केंद्रीय राज्य मंत्री किरण रिजीजू के उस ब्यान के बाद लिया है जिस एन उहों ने कहा है कि चुनाव एक संवैधानिक प्रक्रिया है और केंद्र सरकार संविधान से बंधी है. रिजिजू ने ट्वीट कर आशा जताई थी कि नागालैंड में शांतिपूर्ण चुनाव चल रही शांति वार्ता के लिए मददगार होंगे और हमारी प्रतिबद्धता को मजबूती देंगे.
नागालैंड में 27 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने है. एनएससीएन आर्इएम की केंद्र से वार्ताकार के साथ 1997 से शांति वार्ता चल रही है. नवंबर 2017 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मेघालय यात्रा के दौरान कहा था कि नागालैंड इतिहास रचने की दहलीज पर है क्योंकि नगा राजनीतिक मुद्दे पर जल्द ही अंतिम समझौता होगा.