गुवाहाटी
ब्रह्मपुत्र और सियांग के रास्ते अरुणाचल और असम में कभी भी बड़ी तबाही आ सकती है, … जी हाँ यह हम नही विशेषज्ञ कह रहे हैं. और अगर यह बातें सही है, तो खतरा गंभीर है.
दरअसल बीती 17 नवंबर को भारत-चीन सीमा पर 6.4 की तीव्रता वाला भूकंप आया था. इस भूकंप के बाद यारलुंग त्संगपो ( चीन में बहने वाली ब्रह्मपुत्र) नदी पर बनीं तीन कृत्रिम झीलों में विशाल मात्रा में पानी जमा होने की खबर है जिस से अरुणाचल प्रदेश और असम के लोगों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इन झीलों के कभी भी टूटने का खतरा है जिससे इन दो राज्यों के कई इलाकों में भारी तबाही हो सकती है.
डेक्कन क्रॉनिकल में छपी समाचार के मुताबिक जाने-माने रिवर इंजीनियरिंग विशेषज्ञ प्रोफेसर नयन शर्मा बताते हैं कि इसरो या नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के सेटलाइट डेटा के जरिए इस बारे में जल्द से जल्द से जांच की जानी चाहिए. उन्होंने चीनी अधिकारियों से सहयोग लेने की भी बात कही है.
अमेरिकी भूवैज्ञानिक डेटा के मुताबिक चीन के जिस इलाके में भूकंप का केंद्र बताया गया था वह असम के घनी आबादी वाले शहर डिब्रूगढ़ से मात्र 259 और व्यावसायिक केंद्र तिनसुकिया से 261 किलोमीटर दूर है. इसे लेकर नयन शर्मा का कहना है, ‘नदी तट के पास रहने वाली आबादी को गंभीर खतरा हो सकता है. झीलों के अचानक टूटने से जो मलबा बहकर आएगा उससे बड़े स्तर पर तबाही होने की संभावना है.’ इतिहास भी प्रोफेसर शर्मा की बात का समर्थन करता है. साल 2000 में ऐसी ही एक झील के अस्थायी रूप से फटने से अरुणाचल प्रदेश में जान-माल का खासा नुकसान हुआ था.