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तवांग दो और अक्साई चिन ले लो- चीन का भारत को संकेत

नई दिल्ली

भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के लिए चीन ने एक फॉर्मूला अपनाने का संकेत दिया है वह यह कि अगर भारत अरुणाचल का तवांग वाला हिस्सा चीन को लौटा दे तो वह अक्साई चिन पर अपना कब्जा छोड़ सकता है. बता दें की चीन की ओर से इस तरह की ‘पेशकश’ पहले भी की जा चुकी है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सीमा विवाद पर भारत से वार्ताकार रहे चीन के पूर्व वरिष्ठ डिप्लोमैट दाई बिंगुओ ने इशारों में कहा है कि विवाद सुलझाने के लिए चीन अरुणाचल प्रदेश में तवांग के बदले अपने कब्जे का एक हिस्सा भारत को दे सकता है.  माना जा रहा है कि उनका इशारा तवांग के बदले अक्साई चिन के आदान-प्रदान की तरफ है.

बता दें कि अरुणाचल प्रदेश के प्रसिद्ध बौद्ध स्थल तवांग के बदले चीन पूर्वी क्षेत्र में ऐसे ‘ऑफर’ इससे पहले भी कई बार दे चुका है. वर्ष 2007 में सीमा विवाद सुलझाने के लिए वर्किंग ग्रुप की घोषणा के ठीक बाद चीन ने यही पेशकश की थी, जिससे पूरी बातचीत खटाई में पड़ गई थी.

गौर हो कि तवांग भारत चीन सीमा के पूर्वी सेक्टर का सामरिक रूप से बेहद अहम इलाका माना जाता है. तवांग के पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत है. 1962 में चीनी सेना ने तवांग पर कब्जा करने के बाद उसे खाली कर दिया था क्योंकि वह मैकमोहन रेखा के अंदर पड़ता था. चीन अरुणाचल को तिब्बत से अलग करने वाली मैकमोहन रेखा को नहीं मानता है और तवांग को अपना हिस्सा बताता आ रहा है.

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक तवांग और अक्साईचिन का आदान-प्रदान भारत सरकार के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि यहां पर स्थित तवांग मठ तिब्बत और भारत के बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है. हालांकि अखबार कहता है कि इसके बावजूद यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है क्योंकि माना जाता है कि बिना किसी तरह की आधिकारिक स्वीकृति के दाई बिंगुओ इस तरह के बयान नहीं दे सकते.

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