असमिया गमछा पहचान है असमिया संस्कृति का
गुवाहाटी
By Ravi Ajitsariya
बैसाख के आगमन के साथ ही असम का वातावरण उल्लासमय और योवन से भरपूर हो उठता है l असमिया नव वर्ष 14 अप्रैल को मनाया जाता है, जिसके मौके पर समस्त असमवासी नाच-गा कर बिहू उत्सव मनाते है l इस अवसर पर लोगों के आनंद और उल्लास के साथ प्रकृति भी चंचला हो उठती है l
बिहू के अवसर पर दिए जानें वालें अंग वस्त्र असमिया सामाजिक व्यवस्था में एक विशेष स्थान रखते है l परिवार के लोगो अपने बुजुर्गों को बिहुवान देकर उनसे आशीर्वाद लेते है l या यह कहा जाए कि असमिया गमछा पहचान है असमिया संस्कृति का तो गलत नहीं होगा l
इस समय फैंसी बाज़ार में असमिया गमछे बेचने के लिए असम के विभिन्न भागों से क्षुद्र व्यापारियों की एक टोली डेरा डाले हुए है l यह व्यापारी दो तीन दिनों तक यहाँ के व्यस्त रास्तों पर असमिया संस्कृति के इस प्रतिक को बेहद कम भाव में बेच कर अपने गावं लौट जातें है l
उल्लेखनीय है कि यह गमछे, इनके खुद के घरों में महिलाओं द्वारा तैयार किया जातें है l मशीनी युग में पिछलें कई वर्षों से देश के कई भागो से आधुनिक तरीके से तैयार किये हुए असमिया गमछे असम विक्रय के लिए आने लगें थे, जिससे यहाँ का स्थानीय गमछा उध्य्योग बाधित होने लगा था l पिछले वर्ष बाहर से आएं हुए गमछे की बिक्री पर रोक लगने से, स्थानीय व्यापारियों को भारी राहत मिली है l असम में बिहू के अवसर पर असमिया गमछे की सर्वाधिक विक्री होती है l