गुवाहाटी
तिनसुकिया जिले के लेखापानी में शनिवार को चीन के राजदूत लू झहौल को चीनी युद्ध कब्रिस्तान का दौरा करते वक्त विरोध का सामना करना पड़ा। झहौल अपनी पत्नी, एक सिन्हुआ रिपोर्टर और भारत में चीनी दूतावास के पांच सदस्यों के साथ थे।
तिनसुकिया के पुलिस अधीक्षक मुग्धज्योति महंत ने कहा कि चीनी दल जब कब्रिस्तान में प्रार्थना कर रहा था उसी दौरान कुछ संगठनों के कार्यकर्ताओं ने चीन में यारलंग त्सांगपो नदी पर बन रहे बड़े बांधों के निर्माण के खिलाफ कब्रिस्तान के पास मौन विरोध किया|
यारलंग त्संग्पो भारत में ब्रह्मपुत्र का नाम है| महंत ने कहा कि चीन का यह दल शनिवार की रात तिनसुकिया में बिताने के बाद रविवार को डिब्रूगढ़ से दिल्ली के लिए रवाना होगा।
इससे पहले एक गैर सरकारी संगठन असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्लू) ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया था कि वह राजनयिक दल को राज्य का दौरा न करने दे। यह आरोप लगाया गया था कि असम में ब्रह्मपुत्र के 841 किलोमीटर के खंड की खुदाई के केंद्र के निर्णय के बाद यह राजनयिक दल ब्रह्मपुत्र का अध्ययन करने के लिए असम आ रहा था।
एपीडब्ल्यू ने यह भी आरोप लगाया था कि यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के कमांडर-इन-चीफ परेश बरुवा की सलाह पर चीन राजनयिकों को भेज रहा था| असम पुलिस अकसर दावा करती है कि परेश बरुवा चीनी जासूसी एजेंसियों के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है।