नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर ( NRC ) के मुद्दे पर आज सुनवाई करते हुए असम के NRC के मुख्य कार्यकारणी अधिकारी प्रतीक हजेला और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) के शैलेष को जोरदार फटकार लगाई और कहा कि इन दोनों ने असम में एनआरसी लागू करने के तरीकों पर उसे जानकारी दिए बिना मीडिया में बयान दिए हैं जो कि कोर्ट की अवमानना है.
आउटलुक के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का कहना था, ‘हमें आप दोनों ( हजेला और शैलेश ) को कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराते हुए जेल भेजना चाहिए.’ इसके साथ ही कोर्ट ने उन्हें चेतावनी दी कि भविष्य में वे कोर्ट की इजाजत के बिना मीडिया में बयानबाजी न करें.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सुनवाई के दौरान जस्टिस गोगोई काफी गुस्से में दिखे. उन्होंने प्रतीक हजेला और शैलेष के बयानों को लेकर दोनों अधिकारियों से कहा, ‘मत भूलिए कि आप कोर्ट के अधिकारी हैं. आपका काम हमारे निर्देशों का पालन करना है. आप इस तरह कैसे मीडिया में जा सकते हैं.’
कोर्ट के इस रुख पर प्रतीक हजेला ने कहा कि उन्हों ने आरजीआई से राय-मशविरा के बाद ही मीडिया में बयान दिए थे. उन्होंने कहा कि एनआरसी लिस्ट से बाहर किए गए लोगों की शिकायतों को लेकर उठ रही आशंकाओं को दूर करने के लिए उन्होंने ऐसा किया था. इसके बाद हजेला ने कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी.
बता दें कि 30 जुलाई को असम की एनआरसी लिस्ट जारी की गई थी. इसमें असम के 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 के नाम शामिल थे. बाकी 40 लाख लोगों के नाम लिस्ट में नहीं थे. तब से इस मुद्दे पर जमकर राजनीति हो रही है. लिस्ट जारी होने के अगले दिन, यानी 31 जुलाई को कोर्ट ने कहा था कि जिन लोगों के नाम लिस्ट में नहीं हैं उनकी आपत्तियों पर सही तरीके से काम होना चाहिए.
जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया था कि वह इस मामले में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओफी) तैयार करे ताकि एनआरसी को लेकर लोगों की आपत्तियों और दावों का निष्पक्ष तरीके से निपटारा हो सके. इसी संबंध में कोर्ट ने प्रतीक हजेला और केंद्र सरकार को यह भी निर्देश दिया था कि वे कोर्ट को बताएं कि किस प्रक्रिया के तहत वे लोगों की आपत्तियां दर्ज करेंगे.