श्रीनगर
खबर सनसनी खेज़ है. असम में तैनात एक IPS अफसर का भाई जो पिछले दो महीने से लापता था अब आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया है.
आतंकी बुरहान वानी की दूसरी बरसी के मौके पर आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन ने सोशल मीडिया पर डॉक्टर शम्स उल हक समेत 16 कश्मीरी लड़कों की हथियारों के संग तस्वीरें वायरल की हैं. ये सभी मई महीने में आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हुए हैं.
आतंकी संगठन द्वारा जारी की गई तस्वीर में डॉक्टर शम्स उल हक के हाथ में एके 47 है. इस तस्वीर के साथ आतंकी संगठन ने आतंकी डॉक्टर का रैंक भी जारी किया है और उसे कोड नेम बुरहान सानी दिया गया है. कुपवाड़ा का जहूर अहमद मीर व हंदवाड़ा का अब्दुल गनी ख्वाजा और फुरकान रशीद लोन भी तस्वीर में है. जहूर अहमद मीर मई में लापता हुआ था, उसके परिजनों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई है.
इस साल मई में लापता होने से पहले शम्स उल हक श्रीनगर से सटे जकुरा के सरकारी कॉलेज से यूनानी मेडिसिन और सर्जरी में बैचलर डिग्री की पढ़ाई कर रहा था. इस आतंकी का बड़ा भाई इनामुल हक 2012 बैच के असम-मेघालय कैडर के आईपीएस अफसर हैं और फिलहाल असम में एक पुलिस बटालियन के कमांडेंट हैं.
द्रगड़-शोपियां में पहली अप्रैल को लश्कर व हिजबुल के सात आतंकी जिस मकान में मारे गए थे, वह डॉ. शम्स के परिवार का ही है. मारे गए आतंकियों में एक दुर्दांत आतंकी जुबैर तुर्रे भी था जो डॉ. शम्स का रिश्तेदार था.
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अफसर ने बताया कि, हम ये जानने में जुटे हैं कि शम्स उल हक आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ है या नहीं. हम सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर की प्रमाणिकता की भी जांच रहे हैं.
डॉ. शम्स इस साल आतंकी संगठन में शामिल होने वाले 80 से अधिक युवकों में ज्यादा पढ़े लिखे चार युवकों में से एक है. इसी साल जनवरी में कुपवाड़ा का 26 साल का पीएचडी स्कॉलर मनन बशीर वानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छोड़कर हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था. वहीं मार्च में वरिष्ठ अलगाववादी नेता मोहम्मद अशरफ सेहरई के बेटे जुनैद अहमद ने भी आतंक का दामन थाम लिया था. आतंकी बनने से पहले उसने कश्मीर यूनिवर्सिटी से एमबीए किया था.
पुलिस सुत्रों की मानें तो इस साल कश्मीर में सौ से ज्यादा युवाओं ने आतंक की राह पकड़ ली है.