
गुवाहाटी
By Manzar Alam, Founder Editor, NESamachar, Former Bureau Chief ( Northeast) Zee News
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम मसौदा जारी किया गया है, यहाँ लोग संयम बरत रहे हैं और शांती बनाये हुए हैं लेकिन संसद में अशांती फैली हुई है. मूल मुद्दों पर बहस करने के बजाए केवल राजनीती की रोटियाँ सेकी जा रहीहैं.
असम में जारी किया गया NRC को ले कर राजनीति गर्मा गई है. सड़क से लेकर संसद तक इस मुद्दे पर तीखी बहस हो रही है. गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस (TMC) के प्रतिनिधिमंडल को असम के एयरपोर्ट पर ही हिरासत में ले लिया गया, जिसके बाद से ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निशाने पर मोदी सरकार है.
कोई भी भारतीय नागरिक NRC के खिलाफ नहीं है. यह कहना भी सरासर ग़लत होगा देश में विदेशी नहीं है. केवल असम ही नहीं देश का कोई भी राज्य विदेशी नागरिक से अछूता नहीं है.
40 लाख लोगों के नाम को NRC में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन अभी उन्हें विदेशी भी करार नहीं दिया गया है. इन 40 लाख लोगों को अभी भी अपननी नागरिकता प्रामाणित करने का समय दिया जा रहा है.
लेकिन उस से भी बड़ा मुद्दा यह है कि यदी आने वाले चुनाव से पहले NRC को फाइनल रूप नहीं दिया जाता है तब भी , जिन लोगों के नाम NRC में शामिल नहीं हैं वोह आने वाले चुनाव में वोट नहीं डाल सकेंगे. यानी ऐसे लोग संदिग्ध नागरिक के रूप में ही देखे जाएंगे .
सरकार के पास अभी ऐसी कोई ठोस नीती नहीं है कि NRC ड्राफ्ट को फाइनल रूप देने के बाद उन लोगों का किया होगा जो अपनी नागरिकता प्रमाणित करने में असफल रहेंगे.
दूसरी बात यह कि जो ड्राफ्ट जारी किया गया है उस में अभी भी कमियाँ देखी जा रही हैं. एक ही परिवार के कुछ सदस्यों की पहचान भारतीय नागरिक के रूप में है तो उसी परिवार के कुछ सदस्यों के नाम NRC में नहीं है.
एक ही पिता के दो बेटों में एक बेटे का नाम NRC में शामिल है तो दुसरे का नहीं, जब की दोनों भाइयों का दस्तावेज़ एक ही हैं.
ऐसे मामले एक दो नहीं लाखों की संख्या में हैं. ज़रूरी है कि ऐसे मामलों के दस्तावेज की गहराई से जांच पड़ताल की जाए.
NRC के काम में लगे हुए ग्रामीण इलाकों में निचले स्तर के कर्मचारियों के खिलाफ भी शिकायतें हैं. जिन लोगों के नाम शामिल नहीं है उन्हें NRC सेवा केंद्र से किसी भी प्रकार का नोटिस नहीं भेज जाने का भी आरोप लग रहे हैं.
“डी” मतदाता का मुद्दा भी बड़ा महत्वपूर्ण मुद्दा है. “डी” मतदाताओं के नाम भी NRC में शामिल नहीं है.
बहरहाल कुल मिला कर, अभी भी असम की जनता संयम बरत रही है और शांती बनाये हुए है. उन्हें उम्मीद है की दस्तावेजों के पूर्ण जांच पड़ताल के बाद उन के नाम NRC में शामिल हो जाएंगे.