खबर है की असम के तर्ज़ पर मणिपुर में भी NRC की तैयारी हो रही है, यहाँ अंतिम तारीख 1951 निर्धारित की गई है ।
इम्फाल
भाजपा शासित राज्य सरकार मणिपुर में जो लोग 1951 के बाद आ कर यहाँ बसे हैं उन के सामने नयी मुसीबत आ सकती है. राज्य सरकार उन्हें राज्य से बाहर का रास्ता दिखा सकती है ।
खबरों की माने तो असम के लिए अंतिम तारीख 1971 रखी गई है जबकि मणिपुर इससे दो कदम आगे निकल गया है और । वहां यह अंतिम तारीख 1951 निर्धारित की गई है।
यानी राज्य सरकार के फैसले के हिसाब से वे सभी नागरिक अवैध हैं जो 1951 के बाद मणिपुर में आ बसे हैं । उन्हें या तो अब वापस जाना पड़ेगा या नया विशेष प्रवेश पत्र या वर्क परमिट लेना होगा।
मणिपुर विधानसभा ने इस आशय का प्रस्ताव पास कर इसे अनुमोदन के लिए राज्यपाल को भेज दिया है।
बिल में प्रावधान है कि 1951 के बाद जो लोग यहां बसे हैं उन्हें न तो मत देने का अधिकार होगा और न ही कोई संपत्ति खरीदने का। सरकार के इस फैसले से न केवल वहां रह रहे बंगलादेशी प्रभावित होंगे बल्कि व्यापार करने के उद्देश्य से यहां 70 के दशक में पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान आदि राज्यों से आए लोग भी प्रभावित होंगे।
इस नए प्रावधान के मुताबिक गैर-मणिपुरियों को नोटीफिकेशन के एक महीने के अंदर अपने आप को पंजीकृत कराना होगा। उसके बाद उन्हें राज्य 6 माह तक का वर्क परमिट जारी करेगा जो हर साल रिन्यू होगा।
हालांकि जिनके पास बिजनैस का लाइसैंस हैं उन्हें 5 साल तक का वर्क परमिट जारी किया जाएगा। यहीं नहीं, जो भी बाहरी व्यक्ति मणिपुर आएगा उसे प्रवेश के लिए पासपोर्ट या परमिट लेना होगा।