आसू के साथ त्रिपक्षीय वार्ता, राजनाथ सिंह ने कहा, असम समझौते की भावना को बरकरार रखा जाएगा
नई दिल्ली
आसू, भारत सरकार और असम सरकार के बीच आज त्रिपक्षीय बैठक आयोजित हुई| राजनाथ सिंह ने आसू को भरोसा दिलाया कि असम समझौते की भावना को बरकरार रखा जाएगा| गृह मंत्रालय स्तर पर आयोजित यह बैठक 12 साल के अंतराल पर हुई है| केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और अखिल असम छात्र संघ के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में नार्थ ब्लॉक में बैठक का आयोजन हुआ|
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत सरकार और असम सरकार दोनों ही असम में त्रुटिमुक्त एनआरसी अद्यतन का काम पूरा कराने को प्रतिबद्ध है| दोनों सरकारें मूल निवासियों की संवैधानिक और आर्थिक सुरक्षा को लेकर गंभीर है|
उन्होंने कहा कि असम समझौते से जुड़े मुद्दे पर बातचीत के लिए आसू के प्रतिनिधि कभी भी उनसे मिल सकते है| सिंह ने यह जानकारी भी दी कि भारत सरकार, असम सरकार और आसू के प्रतिनिधियों को लेकर एक कमिटी बनाई जाएगी जो असम समझौते की सभी दफाओं को लागू किया गया है या नहीं यह सुनिश्चित कर सके|
सिंह ने कहा, “आसू द्वारा उठाए जाने वाले सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी और निर्धारित समय में उन्हें लागू किया जाएगा| हम घुसपैठ रोकने और सीमा सुरक्षा बढ़ाने के अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं| इस बीच भारत-बांग्लादेश सीमा में फेंसिंग का काम शुरू हो गया है|
केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी बताया कि बोगीबील पुल का निर्माण कार्य दिसंबर 2017 तक पूरा हो जाएगा|
त्रिपक्षीय बैठक को सकारात्मक बताते हुए मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि असम समझौते को लागू करने की दिशा में हमने एक अच्छी शुरुआत की हैं|
आसू के सलाहकार समुज्ज्वल कुमार भट्टाचार्य ने भी बैठक को सकारात्मक बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को इस पहल के लिए धन्यवाद दिया| उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान असम समझौते को लागू करने की दिशा में रखे गए सभी 60 प्रस्तावों पर चर्चा हुई| आसू ने जिला और राज्य स्तर पर अवैध नागरिकों की शिनाख्त के लिए स्पेशल टास्क फोर्स के गठन का भी मुद्दा उठाया| साथ ही आसू ने अवैध नागरिकों के प्रत्यार्पण के लिए भारत और बांग्लादेश सरकार के बीच द्विपक्षीय समझौते की भी सलाह दी|
45 मिनट तक चली त्रिपक्षीय बैठक में अशोक पेपर मिल को पुनर्जीवित करने, बाढ़ और भू-कटाव की समस्या , ब्रह्मपुत्र के प्रकोप से नदी द्वीप माजुली की सुरक्षा आदि मुद्दों को भी स्थान मिला|