सिगरेट धुम्रपान आत्महत्या के लिए उकसाता है, इस में ज़हरीले रसायन होते हैं,
अक्सर आप तम्बाकू धूम्रपान लोगों को लाइट सिगरेट पीते हुए यह कहते सुना होगा कि उसका नुकसान कम होता है। क्या यह सच है या एक सुनी सुनाई बात है, आप को बता दें की लाईट सिगरेट भी उतने ही हानिकारक होते हैं जितना आम सिगरेट, इस बात का जवाब विज्ञान ने दे दिया है।
विश्वविद्यालय पिट्सबर्ग के एक अध्ययन के अनुसार 51 प्रतिशत सिगरेट धूम्रपान करते व्यक्ति आम सिगरेट से लाइट सिगरेट का उपयोग सिर्फ इसलिए शुरू कर देते हैंम क्योंकी वह समझते हैं कि यह कम हानिकारक है, जबकि वास्तव में लाइट सिगरेट भी उतना ही हानिकारक होता है जितना कि कोई भी आम सगरेट। यूनयूरस्टे ऑफ वीसकौंसन के जांच एजेंसी के निदेशक डॉ माइकल फीवर का कहना है कि वैज्ञानिकों के शोध में यह बात सिद्ध है कि लाइट सिगरेट बाकी सामान्य सिगरेट की तरह ही खतरनाक होती है।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के एक अध्ययन में बताया गया है कि आम सिगरेट पीने वाले व्यक्तियों और लाइट सिगरेट पीने वालों में फेफड़ों के कैंसर की दर और नुकसान एक जैसे थे। तुर्की में की गई शोध में भी इसी तरह के परिणाम सामने आए हैं।
डॉ माइकल फीवर का कहना है कि लोग इस धोखे में रहते हैं कि लाइट सिगरेट के नुकसान कम हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं बल्कि कई बार तो ऐसा भी होता है कि लोग लाइट सिगरेट के धोखे में ज्यादा सिगरेट पीने लगते हैं। अगर आप भी सिगरेट पीते हैं तो अब इस धोखे में मत आओ कि लाइट सिगरेट का नुकसान कम है
सिगरेट धुम्रपान आत्महत्या के लिए उकसाता है
वैज्ञानिकों का कहना है कि सिगरेट धूम्रपान करता है लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति अधिक पाया जाता है क्योंकि निकोटीन ऐसे मानसिक समस्याएं पैदा कर देती है कि सिगरेट के आदी लोगों को जीवन समाप्त करने की इच्छा करते हैं।
इससे पहले यह माना जाता था कि मानसिक रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों को आमतौर पर सिगरेट धूम्रपान की लत होती है। इसलिए धूम्रपान और आत्महत्या में संबंध पाया जाता है मगर अब यह साबित हो गया है कि वास्तव में सिगरेट में पाई जाने वाली निकोटीन और देग यौगिकों मानसिक बीमारियां भी पैदा करते हैं जो आत्महत्या की चिंताओं को बढावा देती हैं।
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन में सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने और न लगाने वाली अमेरिकी राज्यों में आत्महत्या की संख्या और प्रवृत्ति का तुलनात्मक अध्ययन किया। परिणाम से पता चला कि जिन राज्यों में सिगरेट पर भारी टैक्स लगाया गया था और सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध था उनमें आत्महत्या की दर राष्ट्रीय औसत से 15 प्रतिशत तक कम हो चुकी है।
विश्वविद्यालय के मनोरोग विभाग के प्रोफेसर रिचर्ड का कहना है कि यह साबित हो गया है कि धूम्रपान आत्महत्या के प्रमुख कारणों में से एक है। यह शोध वैज्ञानिक पत्रिका “निकोटीन और तंबाकू रिसर्च” में छपी है।
सिगरेट धुम्रपान में ज़हरीले रसायन होते हैं
सिगरेट के कश लगाने वाले यह भूल जाते हैं कि उनके सिगरेट का धुआं सोचने समझने और देखने की क्षमता को इतना फीका कर देता है कि यह ध्यान ही नहीं होता कि सिगरेट में अनगिनत जहरीले यौगिकों मौजूद होते हैं।
लोगों को सिगरेट से बचने की प्रेरणा देने वाली साइट “धुआँ फ्री तुरसीथ” ने यह खुलासा किया है कि सिगरेट में करीब 4 हजार जहरीले यौगिक होते हैं, यह वही केमिकल हैं जो कि सफाई के लिए इस्तेमाल एसिड, नेल पॉलिश उतारने वाले रसायन, आरसीनक जैसे जहर, ईंधन, और चूहों को मारने वाले जहर में शामिल होते हैं।
और तो और सिगरेट खतरनाक गैस कार्बन मोनोआक्साइड और खतरनाक जहर सायानाईड जैसे यौगिक भी पाए जाते हैं। माउंट सिनाई स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉक्टर ल्सकलाडयू ने बताया कि चिंता की बात यह है कि सिगरेट में प्राकृतिक तंबाकू के अलावा सैकड़ों ऐसे रसायन और यौगिकों अतिरिक्त रूप से शामिल होते हैं कि जो मानव स्वास्थ्य के लिए ज़हरीले हत्यारे हैं।
गौरतलब है कि सिगरेट दुनिया भर में ऐसी मौतों का सबसे बड़ा कारण है, जिनसे बचा जा सकता है। सिगरेट के धुएं से केवल अमेरिका में 50 हजार के करीब हर साल वे लोग मारे जाते हैं जो कि खुद सिगरेट धूम्रपान करते हैं।