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असम का बोगीबील पुल, सेना के लिए सब से बड़ा मददगार साबित होगा

बोगिबील पुल देश के पूर्वोत्तर इलाके की जीवन रेखा होगा, सेना और उनके उपकरणों के रणभूमी तक पहुँचने में यह पुल सब से बड़ा मददगार साबित होगा.


डिब्रूगढ़ 

By Anil Poddar

25 दिसंबर असम और अरुणाचल प्रदेश के साथ देश भर में एक इतिहासिक दिन होगा जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ब्रहमपुत्र नदी पर बने देश के सब से लम्बे बोगीबील पुल का उदघाटन करेंगे.  ब्रह्मपुत्र नदी पर बोगीबील पुल असम में डिब्रूगढ़ शहर से 17 किमी दूर स्थित है और इसका निर्माण तीन लेन की सड़कों और दोहरे ब्रॉड गेज ट्रैक के साथ किया गया है।

यह पुल देश के पूर्वोत्तर इलाके की जीवन रेखा होगा साथ ही साथ  असम और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर और दक्षिण तट के बीच सीधे संपर्क की सुविधा प्रदान करेगा। इससे अरुणाचल प्रदेश के अंजाव, चांगलांग, लोहित, दिबांग घाटी और तिराप  जैसे दूर दराज़  जिले सीधे असम के तिनसुकिया और डिब्रूगढ़ शहर से जुड़ जायेंगेI

‘चीन के साथ भारत की 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा अरुणाचल प्रदेश में है. सेना और उनके उपकरणों के रणभूमी तक पहुँचने में यह पुल सब से बड़ा मददगार साबित होगा.

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ब्रह्मपुत्र नदी पर बना  4.94 किलोमीटर लंबा यह पुल असम समझौते का हिस्सा रहा है और इसे 1997-98 में अनुशंसित किया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने 22 जनवरी, 1997 को इस पुल की आधारशिला रखी थी लेकिन इस पर काम 21 अप्रैल, 2002 को तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय में शुरू हो सका। परियोजना में अत्यधिक देरी के कारण इसकी लागत भी  3230.02 करोड़ से  बढ़कर 5,960 करोड़ रुपये हो गई। इस बीच पुल की लंबाई भी पहले की निर्धारित 4.31 किलोमीटर से बढ़ाकर 4.94 किलोमीटर कर दी गई।

रेल विभाग के अधिकारियों के अनुसार , ‘यह ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी किनारे पर रहने वाले लोगों को होने वाली असुविधाओं को काफी हद तक कम कर देगा. यह पुल सुरक्षा बलों और उनके उपकरणों के तेजी से आवागमन की सुविधा प्रदान करके पूर्वी क्षेत्र की राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाएगा। इसका निर्माण इस तरह से किया गया था कि आपात स्थिति में एक लड़ाकू विमान भी इस पर उतर सके।’

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