गंगटोक
दिल्ली से चली हवा अब सिक्किम की राजनैतिक निजाम बिगाड़ सकती है. दरअसल केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता खारिज करने के निर्णय के आधार पर ही सत्ताधारी दल सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के 14 विधायकों की सदस्यता निरस्त करने की मांग तेज हो गई है.
इस मांग को लेकर सिक्किम सब्जेक्ट समिति द्वारा आयोग के निर्णय का स्वागत करते हुए सिक्किम में इस तर्ज पर निर्णय लेने की मांग किया गया है. इस मांग के समर्थन में राज्य के मुख्य विपक्षी दल सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने भी आवाज बुलंद कर दी है .
पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष व विधायक कुंगा नीमा लेप्चा ने पत्रकारों को बताया है कि लाभ के पद मामले में सिक्किम उच्च न्यायालय द्वारा पहले ही 11 विधायकों के संसदीय सचिव पद को असंवैधानिक करार दिया जा चुका है. जिसके चलते उक्त 11 विधायक अपने पद से त्याग पत्र दे चुके हैं.
संसदीय सचिव की तरह ही राज्य में मुख्य सचेतक तथा विधानसभा की दो अंतरिम समितियों रूप में आसीन तीन विधायक भी इस्तीफा दे चुके हैं. विपक्षी दल की मांग है कि अब आरोपी 14 विधायकों की सदस्यता भी निरस्त की जानी चाहिए.
पार्टी अध्यक्ष लेप्चा ने एक कदम आगे बढ़ते हुए राज्य के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मांगा है. पार्टी का तर्क है कि मुख्यमंत्री ने ही अपने विधायकों को असंवैधानिक पदों पर नियुक्त किया था. एसकेएम ने ऐसी गतिविधियों का ठीकरा मुख्यमंत्री के सिर फोड़ते हुए इस्तीफा देने की मांग पर दबाव बनाने की बात कही है.