जब आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे बना लडाकू विमानों का रन वे
नई दिल्ली
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे आज उस समय लडाकू विमानों का रनवे बन गया जब भारतीय वायुसेना के 20 विमान आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर उतरे. वायुसेना के ये किसी एक्सप्रेस-वे पर अब तक की सबसे बड़ी लैंडिंग थी.
सबसे पहले ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C-130 J सुपर हरक्यूलिस यमुना एक्सप्रेवस-वे पर अपना करतब दिखाया. इसमें से गरुड़ कमांडो अपनी गाड़ियों और साजोसामान के साथ उतरे. यह दुनिया का सबसे बड़ा मालवाहक जहाज है. यह विमान किसी भी मिसाइल को डिटेक्ट करने में सक्षम है. चीन की तरफ से घुसपैठ रोकने के लिए इसकी तैनाती की गई है.
इसके तुरंत बाद एक के बाद एक तीन मिराज-2000 विमान उतरे. इसकी स्पीड 2495 किलोमीटर प्रति घंटा है. वायुसेना में 50 मिराज-2000 विमान हैं. ये विमान दूर तक मार करने के लिए 530D मिसाइल से लैस है. यह हवा में ही दूसरे विमान को मार गिराने में सक्षम है. इसमें 30 MM की तोप लगी है.
मिराज विमानों के बाद जगुआर विमानों ने भी अपना करतब दिखाया. ये विमान 4750 किलो वजन के साथ उतर सकता है. इस विमान में दो इंजन और 300MM की गन मौजूद है. यह 1350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बम वर्षा करने में सक्षम है. जगुआर विमान गहराई से मार करने वाले विमान हैं.
जगुआर के बाद सुखोई 30 MKI विमान उतरा. इसकी रेंज 5200 किलोमीटर है. यह तीन हजार किलोमीटर दूर तक मार करने में सक्षम है. इसका रडार इसकी सबसे बड़ी ताकत है. यह 8 हजार किलो गोला-बारूद लेने जाने में सक्षम है. यह भारतीय वायुसेना का सबसे शक्तिशाली विमान है. यह दुश्मन विमान की पॉजीशन दूर से पता लगा सकता है.
युद्ध के समय में किसी भी देश की कोशिश होती है कि वो दुश्मन के एयरबेस और एयर-स्ट्रीप को तहस नहस कर दे ताकि उसके लड़ाकू विमानों को उड़ने या फिर लैंड करने का मौका ना दिया जाए. इसीलिए हाईवों को इस तरह के कोंटिजेंसी प्लान के लिए तैयार किया जाता है.
भारत में ये तीसरी बार है कि वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने किसी एक्सप्रेसवे पर इस तरह का अभ्यास किया है. इससे पहले भी एक बार लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर लड़ाकू विमान टच डाउन कर चुके हैं. भारत में सबसे पहले मई 2015 में यमुना एक्सप्रेस-वे पर मथुरा के करीब मिराज विमानों ने लैंडिग की थी.
मॉर्डन वॉरफेयर में एयरबेस के साथ साथ लड़ाकू विमानों को जमीन पर उतारने के लिए खास तरह के एक्सप्रेस वे और हाईवों को ही लैंडिग ग्राउंड की तरह इस्तेमाल किया जाता है, इसीलिए भारतीय वायुसेना इस तरह की ड्रिल कर रही है.