आलू की खेती से किसानों को नुकसान, खेतों में ही छोड़ा आलू
मंगलदै
दरंग जिले में सैकड़ों बीघा जमीन पर आलू की खेती कर नुकसान झेलने के बाद अब किसानों ने खेतों में ही उत्पादित आलू को छोड़ दिया है| हजारों मन आलू अब खेतों में ही पड़े-पड़े सड़ रहे है| किसान खेत से आलू निकालकर उन्हें बाजार में बेचने को इच्छुक नहीं है, वजह है आलू का मूल्य|
जिले के सबसे बड़े सब्जी के दो थोक बाजारों में, खारुपेटिया के नजदीक बालूगांव और बेसीमारी में इन दिनों आलू का थोक मूल्य दो-तीन रुपया प्रति किलो है| इसे लेकर किसानों में हाहाकार मचा हुआ है|
बाजार के नजदीक बिहुदिया गाँव के एक आलू उत्पादक किसान हबीबुर रहमान ने बताया कि उसने 30 रुपए प्रति किलो के दर से आलू के बीज ख़रीदे थे| उसके बाद कड़ी मेहनत कर तीन महीने तक खेत को खाद पानी से सींचा| लेकिन जब आलू का उत्पादन हुआ तो बाजार में आलू की कीमत प्रति किलो 2 रुपया हो गया| इससे गुस्सा होकर उसने अपनी आठ बीघा खेत में आलू को सड़ने के लिए छोड़ दिया है| हबीबुर का कहना है कि बाजार में आलू 12 रुपए प्रति किलो होने से ही किसानों को मुनाफ़ा होगा|
यह हाल महज बिहुदिया इलाके का ही नहीं है| वृहत्तर पूर्व दरंग जिले के कई गांवों के हालात ऐसे ही है और इसी वजह से किसान भुखमरी की कगार पर है|