भारत का एक अद्दभुत गाँव, जहां होती है चमगादड़ों की पूजा

वेब डेस्क
चमगादड़ों को पेड़ों पर उलटा लटकते हुए आप ज़रूर देखे होंगे, लेकिन शायद ही कभी उसे देख कर आकर्षित हुए होंगे | अगर हम से आप यह कहें कि इसी उलटे हुए चमगादड़ों की कहीं पूजा भी की जाती है, तो आप शायद और भी अधिक हैरान हो जाएंगे | यकीन नहीं आ रहा है तो इस लेख को ज़रूर पढ़ें, शायद चमगादड़ो के प्रती आप का सोच बदल जाएगा और हो सकता है कि चमगादड़ों से आप का डर आस्था में बदल जाए |
भारत का एक अद्दभुत गाँव, जहां होती है चमगादड़ों की पूजा, जी हाँ, हां बात कर रहे हैं बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के सरसई गांव का, जहां चमगादड़ों की न केवल पूजा होती है, बल्कि लोग मानते हैं कि चमगादड़ उनकी रक्षा भी करते हैं |
सरसई गांव के लोगों का मानना है कि चमगादड़ों का जहां वास होता है, वहां कभी धन की कमी नहीं होती| ये चमगादड़ यहां कब से हैं, इसकी सही जानकारी किसी को भी नहीं है|
इन चमगादड़ों को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है| यहां लोगों की मान्यता है कि चमगादड़ समृद्धि की प्रतीक देवी लक्ष्मी के समान हैं|
सरसई गांव में एक प्राचीन सरोवर के पास लगे पीपल, सेमर तथा बथुआ के पेड़ों पर चमगादड़ का बसेरा है| इस सरोवर का निर्माण तिरहुत के राजा शिव सिंह ने वर्ष 1402 में करवाया था| करीब 50 एकड़ में फैले इस भूभाग में कई मंदिर भी स्थापित हैं|
गाँव के लोगों के अनुसार, रात में किसी भी बाहरी व्यक्ति के तालाब के पास जाने के से ये चमगादड़ चिल्लाने लगते हैं| जबकि गांव का कोई भी व्यक्ति के जाने से चमगादड़ कुछ नहीं करते| यहां कुछ चमगादड़ों का वजन पांच किलोग्राम तक है|
सरसई के पीपलों के पेड़ों पर अपना बसेरा बना चुके इन चमगादड़ों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है| गांव के लोग न केवल इनकी पूजा करते हैं, बल्कि इन चमगादड़ों की सुरक्षा भी करते हैं| यहां के ग्रामीणों का शुभ कार्य इन चमगादड़ों की पूजा के बगैर पूरा नहीं माना जाता|
यहाँ के लोग ताते हैं कि मध्यकाल में वैशाली में महामारी फैली थी| जिस कारण बड़ी संख्या में लोगों की जान गई थी| इसी दौरान बड़ी संख्या में यहां चमगादड़ आए और फिर ये यहीं के होकर रह गए| इसके बाद से यहां किसी प्रकार की महामारी कभी नहीं आई|
स्थानीय शिक्षित लोग बताते हैं कि चमगादड़ों के शरीर से जो गंध निकलती है| वह उन विषाणुओं को नष्ट कर देती है जो मनुष्य के शरीर के लिए नुकसानदेह माने जाते हैं|
यहां के ग्रामीण इस बात से खफा हैं कि चमगादड़ों को देखने के लिए यहां सैकड़ों पर्यटक प्रतिदिन आते हैं, लेकिन सरकार ने उनकी सुविधा के लिए कोई कदम नहीं उठाया है|
गाँव में बड़ी संख्या में चमगादड़ों का वास न केवल अभूतपूर्व है, बल्कि मनमोहक भी है|