गुवाहाटी
सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को निर्देश देते हुए कहा है कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर ( एनआरसी ) प्रकाशन करने की समय सीमा 31 मई से आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर एम नरिमन की पीठ ने कहा कि वह 30 दिन बाद राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के काम की प्रगति की समीक्षा करेगी.
अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने जब यह कहा कि व्यावहारिक रूप से इस काम को 31 मई तक पूरा करना संभव नहीं है तो पीठ ने कहा हमारा काम ही असंभव को संभव बनाना है और हम ऐसा करेंगे. हम पिछले चार वर्षों से इसकी निगरानी कर रहे हैं और हम यह जानते हैं. इस लिए एनआरसी प्रकाशन का काम 31 मई तक हर हाल में पूरा हो जानी चाहिए. शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य में करीब एक करोड़ नागरिकों के सत्यापन का काम किसी भी प्रकार की दखलअंदाजी के बगैर ही जारी रहना चाहिए.
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि असम में होने वाले पंचायत और स्थानीय निकायों के मार्च और अप्रैल महीने मे होने वाले चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार करायेगी. चुनाव यह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की तैयारियों की कीमत पर नहीं होंगे और रजिस्टर का काम पहले की तरह ही चलता रहेगा.
पीठ ने रजिस्टर तैयार करने के काम में अतिरिक्त राज्य संयोजक नियुक्त करने का अनुरोध भी अस्वीकार कर दिया और कहा कि वर्तमान संयोजक प्रतीक हजेला इसके अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचने तक काम करते रहेंगे. पीठ इस मामले में अब 27 मार्च को आगे सुनवाई करेगी. ।
बता दें कि असम के लिये राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का पहला मसौदा शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार पिछले साल दिसंबर में प्रकाशित हुआ था. न्यायालय ने कहा था कि 31 दिसंबर को प्रकाशित इस मसौदे में जिन व्यक्तियों के नाम नहीं है, उनके दावों की छानबीन की जायेगी और यदि वे सही पाये गये तो उन्हें बाद में शामिल किया जायेगा.