गुवाहाटी
वात्सल्य मूर्ति साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि श्रीराम कथा भक्ति, ज्ञान, समर्पण और कर्म के घाट पर बैठकर सुनाई गई है । श्रीराम कथा को आत्मसात करने के लिए चित्त का शांत होना जरूरी है । जब तक हमारे चित्त में विचारों के झंझावात और सपनों के जंजाल चलते रहेंगे, मन लाभ – हानि के तराजूपर ऊपर-नीचे होते रहेगा , तब तक हम प्रभु कृपा को प्राप्त नहीं कर सकते। दीदी मां ने प्रार्थना को धर्मं का निचोड़ बताते हुए कहा- यह मात्र याचना के लिए नहीं होती, यह तो आत्मा की पुकार है । उन्होंने भक्ति और भावुकता में फर्क बताते हुए कहा कि भक्ति हमें भगवान से जोड़ती है । उन्होंने कहा कि प्रकृति हमें हमेशा दोराहे पर लाकर खड़ा कर देती है, उसमें से सही रास्ते का चयन ही हमारा भाग्य बनाता है । ठीक उसी तरह से हर पल, हर क्षण अपनी प्रचेष्टाओँ से हम अपने जिस चरित्र का निर्माण करते हैं, वह चरित्र हमारे संकट की घडी में काम आता है । उन्होंने कहा-हमारे अचेतन मन में जो छिपा है, वही सही है । रावण के तो दस चेले थे, मगर हमारे अंदर कितने चेले छिपे है, यह किसी को पता नहीं है ।
श्रीराम कथा सत्संग समिति, गुवाहाटी के तत्वावधान में आयोजित श्रीराम कथा में दीदी मां ने कल के केवट प्रसंग को आगे बढाते हुए श्रोताओं को वन गमन, दशरथ निधन, चित्रकूट में भरत- श्रीराम मिलन, सीता हरण और जटायु वध तक की कथा प्रसंग का भ्रमण कराया। कथा प्रसंग में उन्होंने यमुना- गंगा के अलौकिक सौंदर्य और सरस्वती नदी के गाते भरत की नाराजगी की भी व्याख्या की। उन्होंने कहा कि भरत ने श्रीराम को मना लाने के लिए जब चित्रकूट रवाना होते हैं तो अयोध्या के समस्त नर -नारी भी उनके साथ होते है । व्याकुल होकर दीदी मां कहती है ‘अब आन मिलो मेरे राम, मन व्याकुल है, तन बे सुध है, आँखों में आये प्राण, तुम तो दुख में छोड़ गए हो, तोड़ कर हम से नाता, मेरे लिए रघुवीर तुम ही हो, पिता- बन्धु और मात’ . उन्हों ने कहा कि चित्रकूट के जिस पत्थर पर श्रीराम और भरत का मिलाप हुआ था, वह पत्थर भी द्रवित हो कर पिघल गया.
वृंदावन में चल रही सवं मंगलापीठम् परियोजना के लिए राजकुमार देवड़ा (गुवाहाटी) ने मैं 10 1 शिलाओं का सहयोग दिया, अनूप जसरासरिया, गुवाहाटी ( 5 0 शिला), संतोष जसरासरिया, दिल्ली (50 शिला), शंकरलाल गोयनका (53 शिला) हैं रामगोपाल सोनी, गुवाहाटी (30 शिला), सीताराम बिंहानो (21 शिला) हैं शिवकुमार गोयल (11 शिला), देव किशन भट्टड़ (11 शिला) और रमेश चाचान ने 11 शिलाओं का आर्थिक सहयोग दिया । विदित हो कि प्रति शिला ‘ की दर 1100 रुपए निर्धारित है।
आज की कथा प्रारंभ होने सै पूर्व मुख्य यजमान विजय कुमार जसरासिया और उनके परिवार ने व्यासपीठ का पूजन करने के अलावा दीदी मां का आदर -अभिनंदन किया ।इस मौके पर काशीराम चौधरी, बोकाखात, विकास अग्रवाल, रमेश गोयनका, दीनदयाल सिबोटिया, बंशीधर सरावगी, प्रभुदयाल देवड़ा, सुरेन्द्र अग्रवाल (सपत्मिक), डॉ. वीपी तोदी (सपत्मिक), विजयकुमार तनेजा (सपत्मिक) है महैन्द्र गोयल (सपत्मिक), जय प्रकाश साहा (सपत्मिक) ने दीदी मा” से आशीर्वाद ग्रहण किया ।
मालूम हैं कि मंच साज सजा समिति के जयप्रकाश लोहिया (गणु) हैं मनमोहन स्रीकरिया और विकास गुप्ता के कार्य की सभी ने खुले मन से प्रशंसा की ।
कर्म भूमि पर उन की परीक्षा जारी रहेगी – मुख्य मंत्री सर्वानंद सोनोवाल
मुख्यमंत्री सवर्निद सोनोवाल ने कहा कि कर्म भूमि पर उनके परीक्षा हर क्षण जारी रहेगी और जब तक वे से मुक्त नहीं करा लेते, वे चैन की नीद नहीं सोएंगे । उन्होंने कहा कि जनता का प्रेम और विश्वास ही उनको परीक्षा पास करा सकता है। श्री सोनोवाल ने मुख्य अतिधि के तौर पर शनिवार को श्री गोहाटी गौशाला के वृंदावन गार्डेन में श्रीराम कथा सत्संग समिति के तत्वावधान में चल रही श्रीराम कथा के मंच से यह वात कही ।
उन्होंने कहा कि जनता इस परीक्षा में तभी उत्तीर्ण बनाएगी, जब वे पूरी ईमानदारी से कम कोंगे । उन्होंने राज्य के सभी वर्ग की जनता को न्याय देने का संकल्प लेने के साथ ही वात्सल्य मूर्ति साध्वी ऋतम्भरा से निवेदन किया कि जाता को सुख, शांती और आनंद मिले, सभी को न्याय और मानवीय अधिकार हासिल हो। इसके लिए वे हर संभव कोशिश करते रहेंगे.
असम तथा राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता तथा भाजपा के राष्टीय प्रवक्ता नलीन कोहली विशिष्ट अतिधि और विधि सलाहकार शांतनु भराली और प्रदेश भाजपा के महासचिव मृगांक बर्मन बतौर सम्मानित अतिधि इस कार्यक्रम में शामिल थे।
वात्सल्य मूर्ति दीदी मां ने मुख्यमंत्री सहित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए खुद को सफाई कर्मचारी बताते हुए कहा हम तो लोगों के दिलों की गंदगी की सफाई करते हैं । इस मौके पर दीदी मां के राष्ट्रप्रेम की झलक एक बार देखने को मिली। श्रोता- श्रन्दुगृलुओँ की अपार भीड़ लोगों के मन की गंदगी दूर होगी ।
अपनी भावना को काव्य का स्वरूप देते हुए उन्होंने कहा ‘लोक्सभा जब बासंती छोले में आएगी, गली-गली भी भारत की मथुरा हो जाएगी । उन्होंने कहा कि शिखर पर बैठे व्यक्ति को ही परीक्षा देनी पड़ती है । उन्होंने कहा कि पश्चिम की स्वच्छता और पूरब की संस्कृति का मिलन हो जाए तो यह धरती स्वर्ग बन सकती है। श्रीराम कथा के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा-भारत की मानवियों के मन को भारतीय बनाना ही इसका मुख्य कारण है ।
श्रीराम कथा सत्संग समिति के सह मंत्री रमेश चांडक के संचालन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सत्संग समिति के मंत्री अशोक धानुका ने मुख्यमंत्री को सत्य, सादगी, सरल और संस्कारी व्यक्तित्व का धनी बताते हुए कहा कि उनके शासनकाल में असम का भला हो, समस्त असमवासियों का कल्याण हो इसी उदेश्य से श्रीराम कथा आयोजित कराई जा रही है । उन्होंने कहा कि राम कथा में उमड़ रही भारी भीड़ कथा के सफल आयोजन को ब्यान कर रही है । श्रीराम कथा के मुख्य यजमान विजय कुमार जसरासरिया ने अपने अभिनंदन संबोधन में मुख्यमंत्री सहित अन्य अतिथियों के प्रति आज की श्रीराम कथा में पधारने के लिए आभार प्रकट किया । उन्होंने कहा कि श्रीराम कथा के सफल आयोजन से उनके मन की सालों पुरानी कामना पूरी हो गई है।