संस्कृत अनिवार्य करने का फैसला रद्द
गुवाहाटी
8वीं कक्षा तक संस्कृत विषय को अनिवार्य किए जाने के फैसले का विरोध होता देख असम सरकार ने यह फैसला रद्द कर दिया है| शिक्षामंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने पत्रकारों के समक्ष कहा कि भले ही सरकार का यह अच्छा फैसला था लेकिन इसे वास्तव में लागू करना संभव नहीं होगा| इसकी वजह यह है कि संस्कृत को अनिवार्य करने पर जितने शिक्षकों की जरुरत होगी उतने शिक्षक मिलना असंभव है| उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में जब यह फैसला लिया गया वे वहां उपस्थित नहीं थे|
हिमंत ने कहा, “ सरकार का उद्देश्य महान था, लेकिन शिक्षकों के अभाव में इस उद्देश्य को पूरा करना संभव नहीं है| इस विषय में मैं इस बीच मुख्यमंत्री को अवगत कर चुका हूँ| मुख्यमंत्री ने मुझे कैबिनेट की अगली बैठक में इस विषय पर चर्चा करने का परामर्श दिया है| कैबिनेट का फैसला हमारी चुनावी घोषणापत्र में भी था| मेरे हिसाब से यदि संस्कृत विषय को अनिवार्य करना हो तो हमें कम से कम 56 हजार शिक्षकों की जरुरत होगी|”
मंत्री ने यह भी कहा कि जिन स्कूलों में संस्कृत के शिक्षक है उनमें 8वीं से 10वीं कक्षा तक 50 नंबरों के लिए संस्कृत सिखाया जाएगा| दूसरी ओर, संस्कृत के बजाए गैर सरकारी स्कूलों में 8वीं श्रेणी तक असमिया विषय को अनिवार्य किए जाने की मंत्री ने घोषणा की| उन्होंने कहा कि इस संबंध में आगामी अगस्त महीने में एक विधेयक लाया जाएगा|