NORTHEAST

Property Dispute: घर – जायदाद के झगड़े को ले कर चाचा ने किया भतीजे के खिलाफ FIR

चाचा भतीजों के बीच दो दशकों से चला आ रहा यह पारिवारिक मामला एक बार फिर कोर्ट तक पहुँच सकता है, जहां सही और ग़लत का होगा फैसला।

गुवाहाटी/ शिलांग –  Property Dispute-  घर-जायदाद को ले कर दो दशकों से चाचा और भतीजे के बीच चली आ रही लड़ाई अब अखबारों की सुर्खियों तक पहुँच गई है। चाचा ने परेशान हो कर अपने भतीजे के नाम मेघालय की राजधानी शिलांग में पुलिस में शिकायत की है और भतीजे पर उन की जायदाद हड़पने का आरोप लगया है।

असम की राजधानी गुवाहाटी में रहने वाले 73 वर्षीय कैलाश चंद्र सराफ़ ने शिलांग के सदर थाने में एक FIR दर्ज करवायी है। FIR में उन्हों ने अपने भतीजों समित सराफ़, अमित सराफ़ और बिनित सराफ़ पर आरोप लगाया है कि वह सब छल – कपट और धोका घड़ी कर के शिलांग स्थित उन की पुश्तैनी मकान को हड़पने का प्रयास कर रहे हैं।

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कैलाश सराफ़ ने अपने FIR में लिखा है की वर्ष 2001 में उन की दादी कमला देवी सराफ़ दुआरा जायदाद के बंटवारे के समय किए गए एक पारिवारिक ऑर्बिट्रेशन के माध्यम से शिलांग स्थित घर  ( Shillong land- Patta no-40,  of 1968  ) उन के नाम कर दी गई थी। लेकिन इस के बावजूद उन के भतीजों ने घर का म्यूटैशन करवा कर उन्हे बेचने का प्रयास कर रहे हैं।

उधर इस रिपोर्टर से बात करते हुए समित सराफ़ अपने और अपने भाइयों पर लगाए गए सभी आरोपों को ग़लत बता रहे हैं उन का कहना है कोर्ट ने उस अर्बिट्रेशन को नल एण्ड वॉइड करार दिया था, जिस का दावा कैलाश चंद्र सराफ़ कर रहे हैं। यानी की उस घर पर केवल कैलाश चंद्र सराफ़ का नहीं बल्कि सभी का बराबर का हक है।

जिस के जवाब में कैलाश चंद्र सराफ़ का दावा है कि, समित सराफ़ के पिता ओमप्रकाश सराफ़ ने इस पारिवारिक अर्बिट्रेशन को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में चुनौती दी थी जहां कोर्ट ने उन के पिटीशन को डिसमिस कर दिया था और उन को हार का सामना करना पड़ा था।

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कैलाश चंद्र ने शिलांग पुलिस के सामने भारतीय दंड संहिता 417, 420,  423, 467, और 120B, के तहत मामला दर्ज करवाया है। बता दें कि भारतीय दंड संहिता की धारा 417 के अनुसार, जो भी कोई छल – कपट करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

बहरहाल चाचा भतीजों के बीच दो दशकों से चला आ रहा यह पारिवारिक मामला एक बार फिर कोर्ट तक पहुँच सकता है, जहां सही और ग़लत का होगा फैसला ।

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