गंगटोक
दो दिन पहले हम ने अपने एक रिपोर्ट में कहा था कि दिल्ली से चली राजनितिक हवा सिक्किम में गर्मी ला सकती है. और अब यह धीरे धीरे दिखने भे लगा है क्योंकि सिक्किम में लाभ पद का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है.
सिक्किम सब्जेक्ट समिति द्वारा सत्ताधारी दल के 14 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग को लेकर राज्यपाल को सौंपा गया ज्ञापन केंद्रीय निर्वाचन आयोग के समक्ष कार्रवाई के लिए प्रेषित कर दिया गया है.
समिति द्वारा महामहिम को सौंपे गए ज्ञापन में सिक्किम उच्च न्यायालय द्वारा राज्य में संसदीय सचिव के पद पर आसीन रहे एसडीएफ के 11 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के फैसले का हवाला दिया गया है.
ज्ञापन में राज्य सरकार द्वारा मुख्य सचेतक तथा विधानसभा की अंतरिम समितियों में दो विधायकों को सभापति नियुक्त करने के निर्णय का विशेष तौर पर जिक्र किया गया है. ऐसे में समिति द्वारा राज्य के सत्ताधारी दल के कुल 14 विधायकों की सदस्यता रद्द करने का ज्ञापन दिया गया है.
समिति की ओर से पिछले वर्ष 30 अक्टूबर को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया था. उक्त ज्ञापन के आधार पर ही राजभवन की ओर से ज्ञापन को केंद्रीय निर्वाचन आयोग भेज दिया गया है. जिसकी पुष्ठि राजभवन द्वारा समिति को 24 जनवरी को लिखे पत्र से होती है.
उच्च न्यायालय में 11 विधायकों के मामले की पैरवी करने वाले अधिवक्ता ओरी भंडारी की माने तो राज्यपाल का रवैया ज्ञापन पर सकारात्मक ही रहा है. प्रमाण स्वरूप राज्यपाल ने अपनी ओर से मामले को आयोग भिजवा दिया है. ज्ञात हो कि हाई कोर्ट के निर्णय में स्पष्ट तौर पर दोष को सिद्ध माना गया है.